Book Title: Anant Sakti Ka Punj Namokar Mahamantra
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 42
________________ (४०) विशुद्धि केन्द्र पर किया गया ध्यान आवेग-संवेगों की विशुद्धि का हेतु बनता है । वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी आवेगों की नियामक थायराइड ग्रन्थि यहाँ पर अवस्थित है । इस ग्रन्थि द्वारा उत्सर्जित हारमोनों से प्राणी के आवेग-संवेग-आवेशों में हानि वृद्धि होती है । यह ग्रन्थि निकाल देने से आवेगों का उद्वेग कम हो जाता है । अतः इस स्थान पर ध्यान करने से साधक के आवेग-संवेग, काम, क्रोध आदि की भावनाओं में क्षीणता आती है, वे उपशमित हो जाते हैं । शल्य चिकित्सक ऑपरेशन द्वारा जिस ग्रन्थि को निकालकर क्रोधी कामी को शान्त बनाता है, ध्यानसाधक मानसिक ध्यान द्वार ग्रन्थि को शमित कर शान्ति, समता और निर्भीकता अनुभव कर सकता है। आवेग आदि के उपशमन से ज्ञान

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