Book Title: Anant Sakti Ka Punj Namokar Mahamantra
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 39
________________ (३७) का ध्यान ज्ञानकेन्द्र पर करता है तब उसके एकाग्रमन से बलशाली बनी ध्यानकीतीक्ष्ण धारा से ज्ञानकेन्द्र पर सघन रूप से अवस्थित तेजस् शरीर के परमाणुओं (प्रदेशों) में प्रकम्पन शुरू हो जाता है और चक्राकार अवस्थित परमाणुओं में घूर्णन की स्थिति बनती है । घूर्णन की गति और उसका वेग ज्यों-ज्यों बढ़ता है, श्वेत रंग उभरने लगता है और तीव्रतर तथा तीव्रतम वेग की स्थिति में जब साधक पहुँचता है तब 'नमो अरिहताण' के सातों अक्षर अत्यन्त चमकीले श्वेत रंग में दृष्टिपटल पर चमकने लगते : शास्त्रों में इस पद के ध्यान के चार सोपान बताये गये है-(१) अक्षर ध्यान (२) पद का ध्यान (३) पद के अर्थ का ध्यान और (४) अर्हत् स्वरूप का ध्यान । । अभीष्ट सफलता के लिए साधक को इन

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