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(१५) संयोजन इस प्रकार का होना चाहिए कि वर्ण समूह (मंत्र के अक्षरों) का जब सूक्ष्म विचारपूर्वक मनन अथवा जाप किया जाय तो एक चमत्कारिक शक्ति उत्पन्न हो जाय: ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार रासायनिक पदार्थों के संयोगों-द्रवों द्वारा धातु पर क्रिया करने से विद्युत धारा प्रवाहमान हो उठती है और वायु से सम्पर्क होने पर अद्भुत चमत्कारी ध्वनियाँ वातावरण में गूंजने लगती हैं। ___ मंत्र में चमत्कार उत्पन्न होने के आधार हैं-अंतःकरण की शक्ति, साधक की मंत्र और अपने इष्ट देव के प्रति असीम निष्ठाभक्ति । तथा उच्चारण की शुद्धि व तालबद्धता।
यद्यपि मंत्रशास्त्र में अनेक प्रकार के मंत्र बताये गये हैं, जैसे-स्तम्भन, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण, विद्वेषण, मारण आदि