Book Title: Anant Sakti Ka Punj Namokar Mahamantra
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 31
________________ (२९) तथा उसे विशिष्टता प्रदान करती है । __ श्रद्धा का अभिप्राय है असीम निष्ठा, दृढ़ विश्वास, जुड़ाव-इष्ट के प्रति और मंत्र के प्रति, घना लगाव । जब श्रद्धा, विश्वास और लगाव का संबल पाकर घनीभूत हो जाती है तो उसकी ऐसी ही स्थिति होती है, जैसी पानी के जम जाने के बाद, उसकी बर्फ के रूप में परिणति होती है । पानी तरल श्रद्धा है और घनीभूत श्रद्धा है ठोस जमी हुई बर्फ । __जब श्रद्धा घनीभूत हो जाती है तो बाह्य प्रभाव-आकर्षण-विकर्षण, संशय, विकार आदि उसमें प्रवेश नहीं पा सकते, जबकि तरल श्रद्धा रूपी जल विकारों से-बाह्य प्रभावों से प्रभावित हो जाता है, इसके वर्ण, गंध और रूप प्रभाव में भी विकृति आ जाती है। ___ मंत्र-साधना के लिए साधक की श्रद्धा भी

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