Book Title: Anand Pravachan Part 08
Author(s): Anand Rushi, Kamla Jain
Publisher: Ratna Jain Pustakalaya

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Page 10
________________ ( ८ ) का उत्कृष्ट रूप उपस्थित किया है । इन प्रवचनों को पढ़ते समय प्रबुद्ध पाठकों को ऐसा अनुभव होगा कि इन प्रवचनों में उपन्यास और कहानी साहित्य की तरह सरसता है, दार्शनिक ग्रन्थों की तरह गम्भीरता है । यदि एक शब्द में कह दिया जाय तो सरसता, सरलता और गम्भीरता का मधुर समन्वय हुआ है । ऐसे उत्कृष्ट साहित्य के लिए पाठक आचार्य प्रवर का सदा ऋणी रहेगा तो साथ ही सम्पादक के श्रम को भी विस्मृत नहीं हो सकेगा। मुझे आशा ही नहीं अपितु दृढ़ विश्वास है कि प्रस्तुत आनन्द प्रवचनों के ये भाग सर्वत्र समाहत होंगे। इन्हें अधिक से अधिक जिज्ञासु पढ़कर अपने जीवन को चमकायेंगे। जैन स्थानक -देवेन्द्र मुनि शास्त्री रायचूर (कर्नाटक) POLO0000000000 cococcomodispos Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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