Book Title: Amardeep Part 01
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Aatm Gyanpith

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Page 13
________________ तीसरी विचारधारा-आत्मवादी विचारधारा है। इसे हम जैन दर्शन या जैन विचारधारा कह सकते हैं। आत्मवादी विचारधारा मनुष्य के विराट रूप में विश्वास करती है, और इसे आत्मा से परमात्मा बनने की प्रेरणा देती है । वह प्रेरणा है, त्याग, संयम, साधना, वैराग्य और समाधि की। साधना-ईश्वर का दर्शन करने के लिए नहीं, किन्तु ईश्वर स्वरूप को प्रकट करने के लिए है। तो आत्म-विकास के विचार, चिन्तन, उपदेश जिन शास्त्रों में होते हैं, वे अध्यात्म शास्त्र कहलाते हैं। जिन ऋषियों ने अपने अनुभव से जो कुछ देखा है, जाना है, अनुभव किया है, वे वही अनुभव दूसरों के कल्याण के लिए प्रकट करते हैं, उनके वे अनुभव हो शास्त्र हैं, ग्रन्थ हैं। हम जिस 'ऋषिभाषित' सूत्र पर आगे चर्चा कर रहे हैं, वह एक अध्यात्मशास्त्र है। भारत की अध्यात्मवादी विचारधारा का इस पर गहरा प्रभाव है। इसमें ऋषि, मुनि, तपस्वी परिब्राजक और भिक्षुओं के.जीवनानुभव है । साधना के द्वारा जो 'अमृत' उन्हें प्राप्त हुआ वही विचारों का अमृत उन्होंने हमारे लिए प्रस्तुत किया है, इस ग्रंथ में। ___'ऋषिभाषित' सूत्र किसी एक व्यक्ति की रचना नहीं है, किंतु यह तो भारत की तपोभूमि पर पैदा हुए उन विभिन्न ४५ ऋषि-मुनियों के आत्मानुभव का संकलन है, जिन्होंने स्वयं को तपाया है, खपाया है, साधना के क्षेत्र में । इसमें विविध प्रकार के विषय हैं, विविध प्रकार की शैलियाँ हैं, और अपने-अपने आत्मानुभव में भी बड़ी विविधता और रोचकता है। 'ऋषि भाषितानि' का मैंने कई बार अध्ययन किया है, इस पर अनेक बार प्रवचन दिये हैं। मैं जैसे-जैसे इस पर विचार करता है--मुझे लगता है यह ग्रन्थ जैन परम्परा का उपनिषद् हैं । उपनिषद् में जिस प्रकार विविध ऋषियों के अध्यात्म अनुभव गुम्फित है, इसी प्रकार इस ग्रन्थ में भी बड़े ही गहन, अनुभव मूलक, आत्मस्पर्शी अध्यात्म-अनुभव है। इसकी भाषा शैली भी सूत्रात्मक है, थोड़े में बहुत व्यक्त करने वाले गूढ़ वचन हैं। ऋषियों ने बड़ी स्पष्टता और सूक्ष्मता के साथ मनुष्य के अन्तर मन को जागृत करने, प्रबुद्ध करने का प्रयास किया है । इसलिए कहीं-कहीं यह सूत्र बहुत गंभीर भी हो गया है। चूंकि यह 'अध्यात्मवाद' का ग्रन्थ है, इसलिए कथा-कहानी जैसा सरल और रोचक होने का प्रश्न ही नहीं। इससे जीवन की, अन्तरमन की गुत्थियों को सुलझाने का प्रयास किया गया है। इसमें आत्मा, कर्म, पुनर्जन्म; संयोग-वियोग, क्रिया अक्रिया, संयम, निर्जरा-संवर

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