Book Title: Amardeep Part 01
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Aatm Gyanpith

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Page 282
________________ - सम्यग् विश्वास-अदा और सम्यग् ज्ञान मिलकर ही सम्यक् कर्म-चारित्रका आधार बनता है और तीनों की सम्यग् समाराधना ही आत्मा के परमसुरव एवं परम आनन्द का उत्स है. - जैन तत्त्वज्ञान की उक्त निपुटीका सर्वांगीण विवेचन तथा देव,गुरु,धर्म के स्वरूप का सांगोपांग समीक्षण सन्निहित है.- कलिका में सौरभ की तरह. S.ORG जनताच कालिका

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