Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 01 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 14
________________ // अहम् // // श्री प्राचाराङ्ग-सूत्रम् // // 1 // अथ प्रथमः श्रुतस्कंधः // // शस्त्रपरिज्ञा-अध्ययनं प्रथमोद्देशकः // सुयं मे पाउसं ! तेणां (प्रामुसतेगां, श्रावसंतेगां) भगवया एवमक्खायं-इहमेगेसिं णो सराणा भवइ ।सू. 1 // तं जहा-पुरस्थिमायो वा दिसायो यागयो ग्रहमंसि, दाहिणायो वा दिसायो ग्रागयो ग्रहमंसि, पञ्चत्थिमायो. वा दिसायो यागयो ग्रहमंसि, उत्तरायो वा दिसायो श्रागयो ग्रहमंपि, उडायो वा दिसायो यागयो ग्रहमंसि, ग्रहोदिसाए वा यागयो ग्रहमंसि, अरणयरीयो वा दिसायो अणुदिसायो वा बागयो अहमंसि, एवमेगेसि णो णायं भवति ॥सू० 2 // अत्थि मे पाया उववाइए, नत्थि मे पाया उववाइए, के अहं बासी ? के वा इथो चुए इह पेचा भविस्मामि ? ॥सू. 3 // से जं पुण जाणेज्जा सह संमइयाए परवागरगोणं अराणेसिं अंतिए वा सोचा तं जहा-पुरस्थिमायो वा दिसायो भागयो अहमंसि जाव अरणयरीयो दिसायो अणुदिसायो वा आगयो ग्रहमंसि एवमेगेसिं जं णायं भवति-अस्थि मे पाया उववाइए, जो इमायो दिसायो अणुदिसायो वा अणुसंचरइ (अणुसंसरइ), सव्वायो दिसायो अणुदिसायो, सोऽहं ॥सू० 4 // से अोयावादी लोयावादी कम्मावादी किरियावादी सू० 5 // अकरिस्सं चाहं कारवेसु चऽहं, करो श्रावि समगुन्ने भविस्तामि ॥सू० 6 // एयावंति सव्वावंति लोगंसि कम्मसमारंभा परिजाणियव्या भवंति ॥सू० 7 // अपरिगणायकम्मा(म्मे) खलु अयं पुरिसे जो इमायो दिसायो अणुदिसायो अणुसंचरइ, सव्वाश्रो दिसायो सव्वायो

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 ... 154