Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 01 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 104 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः वत्थाणि ससंधियाणि मुहुनगं (2) जाव एगाहेण वा (5) विष्पवसिय (2) उवागच्छंति, तहप्पगाराणि वत्थाणि नो अप्पणा गिराहंति नो अन्नमन्नस्स दलयंति तं चेव जाव नो साइज्जति, बहुवयणेण भाणियव्वं, से हंता ग्रहमवि मुहुत्तगं पाडिहारियं वत्थं जाइत्ता जाव एगाहेण वा (5) विप्पवसिय (2) उवागच्छिस्सामि, अवियाई एयं ममेव सिया, माइट्ठाणं संफासे नो एवं करिज्जा 2 ॥सू. 150 // से भिक्खू वा (2) नो वराणमंताई वत्थाई विवरणाई करिज्जा, विवराणाई न वराणमंताई करिज्जा, यन्नं वा वत्थं लभिस्सामि त्तिक टु नो अन्नमन्नस्स दिज्जा, नो पामिच्चं कुज्जा, नो वत्थेण क्थपरिणामं छज्जा, नो परं उवसंकमित्तु एवं वदेज्जा-याउसंतो समण ! समभिकखसि मे वत्थं धारित्तए वा परिहरित्तए वा ! थिरं वा संतं नो पलिछिदिय (2) परिविज्जा, जहा मेयं वत्थं पावगं परो मन्नइ, परं च णं अदत्तहारी पडिपहे पेहाए तस्स वत्थस्स नियाणाय नो तेसिं भीयो उम्मग्गेणं गच्छिज्जा, जाव अप्पुस्सुए, तो संजयामेव गामाणुगामं दूइजिन्जा 1 // से भिक्खू वा (2) गामाणुगामं दूइजमाणे अंतरा से विहं सिथा, से जं पुण विहं जाणिज्जा इमंसि खलु विहंसि बहवे ग्रामोसगा वत्थपडियाए संपिंडिया गच्छेजा, णो तेसिं भीयो उम्मग्गेणं गच्छेजा जाव गामागुगामं दूइज्जेज्जा 2 // से भिक्खू वा (2) दूइज्जमाणे अंतरा से ग्रामोसगा पडियागच्छेज्जा, ते णं ग्रामोसगा एवं वदेज्जा--ग्राउसंतो समणा ! बाहरेयं वत्थं देहि णिविखवाहि जहा रियाए णाणत्तं वत्थपडियाए 3 / एयं खलु जाव सपा जइज्जास्सि त्ति बेमि 4 ॥सू० 151 // // इति द्वितीयोद्देशकः / / 2-1-5-2 // // इति पंचममध्ययनम् // 2-1.5 //

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