Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 01 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 141
________________ 128 ] श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः नायपुत्ते नायकुलनिव्वत्ते विदेहे विदेहदिन्ने विदेहजच्चे विदेहसूमाले तीसं वासाई विदेहंसित्ति हेत्ति)कटटु अगारमज्झे वसित्ता अम्मापिऊहिं कालगहि देवलोगमणुपत्तेहिं संमत्तपइन्ने चिच्चा हिरन्न, चिच्चा सुवन्नं, चिच्चा बलं, चिचा वाहणां, चिच्चा धणकणगरयण-संतसारसावइज्जं विच्छड्डित्ता विग्गोवित्ता विस्ताणित्ता दायारेसु णां दाइत्ता परिभाइत्ता संवच्छरं दलइत्ता जे से हेमंताणं पढमे मासे पढमे पक्खे मग्गसिरवहुले तस्स गां मग्गसिरबहुलस्स दसमीपक्खेणं हत्थुत्तराहिं नक्खत्तएणं जोगोवगएणं अभिनिक्खमणाभिप्याए यावि हुत्था 1 / संवच्छरेण होहिइ अभिनिवखमणां तु जिणवरिंदस्स / तो श्रत्थसंपयाणां पवत्तइ पुव्वसूरायो // 1 // एगा हिरनकोडी अठेव अणूणगा सयसहस्सा / सूरोदयमाइयं दिज्जइ जा पायरासुत्ति // 2 // तिन्नेव य कोडिसया अट्ठासीइं च हुति कोडीयो / असिइं च सयसहस्सा एवं संवच्छरे दिन्नं // 3 // वेसमणकुडधारी देवा लोगंतिया महिड्डीया / बोहिंति य तित्थयरं पन्नरससु कम्मभूमीसु // 4 // बंभंमि य कम्पमी बोधवा कराहराइणो मज्झे ! लोगंतिया विमाणा अट्टसु वत्था असंखिजा // 5 // एए देवनिकाया भगवं बोहिति जिणवरं वीरं / सम्वजगज्जीवहियं अरिहं / तित्थं पवत्ते.हे // 6 // 2 / तयो गां समणस्त भगवयो महावीरस्स. अभिनिवखमणाभिप्पायं जाणित्ता भवणवइवाणमंतरजोइसियविमाणवासिणो देवा य देवीयो य सएहिं (2) स्वेहि, सएहिं (2) नेवत्थेहि, सएहिं (2) चिंधेहिं सविडीए सव्वजुइए सव्दबलसमुदएणं, सयाई (2) जाणविमाणाई दुरूहंति सयाई (2), जाणविमाणाई दुरुहित्ता ग्रहाबायराई पुग्गलाई परि. साडंति (2), ग्रहासुहुमाई पुग्गलाई परियाई ति (2), उड्ड उप्पयंति उड्ड उप्पइत्ता ताए उकिट्ठाए सिग्घाए चवलाए तुरियाए दिव्वाए देवगइए अहेगां ग्रोवयमाणा (2), तिरिएणं असंखिजाई दीवसमुद्दाई वीइक्कममाणा (2), जेणेव जंबुद्दीवे दीवे तेणेव उवागच्छति (2), जेणेव उत्तरखत्तियकुडपुरसं

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