Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 01 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

View full book text
Previous | Next

Page 140
________________ [ 127 श्रीमदाचाराङ्गसूत्रम् :: श्रुतस्कंधः 2 चू० 3 अध्ययनं 1 ] नामधिज्जा एवमहिज्जंति, तंजहा—यम्मापिउसंति बद्धमाणे 1 सहसंमुइए समणे 2, भीमं भयभेरवं उरालं अवेलयं परीसह–सहतिकट्टु देवेहि से नामं कयं समणे भगवं महावीरे 3-1 समणस्स ग भगवयो महावीरस्स पिया कासवगुत्तेगां तस्स गां तिन्नि नामधिजा एवमाहिज्जति तंजहा-सिद्धत्थे इ वा, सिज्जंसे इ वा, जसंसे इ वा, 2 / समणस्स णं भगवयो महावीरस्स अम्मा वासिट्ठस्स गुत्ता तीसं णं तिन्नि नामधिजा एवमाहिज्जंति तंजहातिसलाइ वा, विदहदिन्ना इ वा, पियकारिणी इ वा 3 / समणस्स णं भगवयो महावीरस्स पित्तियए, सुपासे कासवगुत्तेणं / / समणस्स णं भगवयो महावीरस्स जिठे भाया नंदिवद्धगो कासवगुत्तेगां 5 / समणस्स गां भगवयो महावीरस्म जेट्टा भइगी सुदंसणा कासवगुत्तेणं 6 / समणरस गां भगवयो महावीरस्स भजा जसोथा कोडिन्नागत्तेगां 7 / समणस्स गां भगवयो महावीरस्स धूया कासवगोनेगां, तीसे गां दो नामधिजा एवमाहिजंति-अणुजा इ वा, पियदंगणा इ वा 8 / समणस्स गां भगवयो महावीरस्स नत्तुडू कोसिया गुत्तेगां, तीसे गां दो नामधिजा अवमाहिज्जति तंजहा-सेवइ इ वा, जसवइ इ वा 1 ॥सू. 177|| समणस्स गां भगवयो महावीरस्स अम्मापियरो पासायच्चिजा समणोवासगा यावि हुत्था, ते गां बहुइं वासाई मममोबासगपरियागं पालइना छराहं जीवनिकायागां सारवखणनिमित्तं बालोइत्ता निंदित्ता गरिहित्ता पडिक्कमित्ता अहारिहं उत्तरगुणपायच्छिताई पडिवजित्ता कुसमंथारगं दुरूहिना भत्तं पञ्चक्खायंति (2) अपच्छिमाए मारणंतियाए संलहणारीए अमियसरीरा कालमासे कालं किच्चा तं सरीरं विषजहिता यच्चुए कप्पे देवत्ताए उववन्ना, तयो णं याउक्खएणं भवक्खएणं रितिक्खएगां चुए चइत्ता महाविदेह वासे चरमेणं उस्साणेगां मिन्झिस्संति युझिस्मंति मुचिस्संति परिनिव्वाइस्मंति सम्वदुक्खाणमंतं करिस्संति ॥सू. 178 // तेगां कालेगां (2) ममणे भगवं महावीरे नाए

Loading...

Page Navigation
1 ... 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154