Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 01 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 114 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः // निषीधिका-अध्ययनं 2 // से भिक्खू वा (2) अभिकंखिज्जा निसीहियं फासुयं गमणाए, से पुण निसीहियं जाणिज्जा—सअंडं सपाणं जाव मक्कडसंताणयं तहप्पगारं अफासुयं लाभे संते नो चेइस्सामि 1 // से भिक्खू वा (2) अभिकखेज्जा निसीहियं गमणाए, से पुण निसीहियं अप्पपाणं अप्पबीयं जाव सताणयं तहप्पगारं निसीहियं फासुयं चेइस्सामि, एवं सिज्जागमेणं नेयव्वं जाव उदयप्पसूयाई 2 // जे तत्थ दुवग्गा तिवग्गा चउवग्गा पंचवग्गा वा अभिसंधारिति निसीहियं गमणाए ते नो यन्नमन्नस्स कायं ग्रालिंगिज वा विलिंगिज वा चुबिज वा दंतेहिं वा नहेहिं वा अचिंदिज वा वुच्छिदिज वा 3 / एयं खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खुणीए वा सामग्गियं जं सवठेहिं सहिए समिए सया जएजा, सेयमिणं मन्निजासि तिबेमि 4 ॥सू. 164 // निसीहियामत्तिकयं।। // इति द्वितीयमध्ययनम् / / 2-2-2.9 // // 3 :: उच्चारप्रश्रवणा-अध्ययनं 3 // से भिक्खू वा (2) उच्चारपासवणकिरियाए उबाहिजमाणे सयस्स पायपुंछणस्स असइए तो पच्छा साहम्मियं जाइज्जा 1 // से भिक्खू वा (2) से जं पुण थंडिल्लं जाणिजा सग्रंडं सपाणां जाव मक्कडासत्ताणयं तहप्पगारंसिथंडिलंसि नो उच्चारपासवणां वोसिरिजा 2 // से भिक्खू वा (2) से जं पुण थंडिल्लं जाणिजा, अप्पपाणं जाव संताणयं तहप्पगारंसि थंडिलंसि उच्चारपासवणं वोसिरिजा 3 / से भिक्खू वा (2) से जं थंडिल्ले जाणिज्जा, अस्सिंपडियाए एगं साहम्मियं समुस्मि वा, अस्सिपडियाए बहवे साहम्मिया समुहिस्स, अस्सिंपडियाए एगं साहम्मिणिं समुहिस्स, अस्सिपडियाए बहवे साहम्मिणीयो समुद्दिम्स, अस्सिपडियाए बहवे समणमाहणवणीमगा पगणिय (2) समुहिस्स पाणाई (4) जाव उद्दोसियं चेएइ

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