Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 01 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 124 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः // 7 : अन्योन्यक्रिया-अध्ययनं 7 // से भिक्खू वा (2) अन्नमन्नकिरियं अज्झत्थियं संसेइयं नो तं सायए (2) / से अन्नमन्नं पाए ग्रामजिज वा पमजिज वा नो तं साइए (2) / सेसं तं चेव, एयं खलु जाव जइजासि तिबेमि ॥सू०१७॥ // इति सप्तममध्ययनम् // श्रु०२. चू०२-अ०७ मलतः 23 // // इति द्वितीया चूला / / 2-2 // // तृतीय चूलिका-भावना अध्ययनं 1 // तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे पंचहत्थुत्तरे यावि हुत्था, तंजहा-हत्युत्तराई चुए, चइत्ता गभं ववकते, हत्थुत्तराहिं गभायो गम्भं साहरिए, हत्थुत्तराहि जाए, हत्थुत्तराहिं सव्वयो सम्वत्ताए मुंडे भवित्ता अगारायो अणगारियं पव्वइए, हत्थुत्तराहिँ कसिणे पडिपुन्ने श्रब्वाघाए निरावरणे अणते अणुत्तरे केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने, साइणा भगवं परिनिव्वुए ॥सू. 174 / / समणे भगवं महावीरे इमाए प्रोसिप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए वीइवकताए, सुसमाए समाए वीइवताए, सुसम-दुस्समाए समाए वीइवताए, दूसमसुलमाए समाए बहु विइक्कताए, पनहत्तरीए वासेहिं मासेहिं य श्रद्धनवमेहिं सेसेहिं जे से गिम्हाणं चउत्थे मासे अट्ठमे पक्खे अासाढसुद्धे तस्स णं यासाढसुद्धस्स छट्टीपक्खेणं हत्युत्तराहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं महाविजयसिद्धत्थं पुप्फुत्तरवरपुंडरीयदिसासोवत्थियवद्ध-- माणायो महाविमाणायो वीसं सागरोवमाई श्राउये पालयित्ता, अाउवखएणं ठिइकएणं भवक्खएणं चुए चइत्ता, इह खलु जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे दाहिणड्ढभरहे दाहिणमाहणकुंडपुरसंनिवेसंमि उसभदत्तस्स माहणस्स कोडालसगोत्तस्स देवाणंदाए माहणीए जालंधरस्स गुत्ताए सीडब्भवभूएणं अप्पाणेणं कुच्छिसि गम्भं वक्कते 1 / समणे भगवं महावीरे तिन्नांणोवगए

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