Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 01 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 125
________________ 112 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः भिक्खूण अट्ठाए उग्गहं उग्गिरिहस्सामि, अन्नेसिं च उग्गहे उग्गहिए नो उवल्लिस्सामि, तच्चा पडिमा 3 / अहावरा चउत्था पडिमा-जस्स णं भिवखुस्स एवं भवइ-ग्रहं च खलु अन्नेसि भिक्खूणं अट्ठाए नो उग्गहं उग्गिरिहस्सामि, अन्नेसि च उग्गहे उग्गहिए उवल्लिस्सामि, चउत्था पडिमा 4 / ग्रहावरा पंचमा पडिमा-जस्स णं भिक्खुस्स एवं भवइ-अहं च खलु अप्पणो अट्ठाए उग्गहं च उगिरिहस्सामि नो दुराहं नो तिराहं नो चउराहं, नो पंचराहं, पंचमा पडिमा 5 / हावरा छट्ठा पडिमा से भिक्खू वा (2) जस्स एव उग्गहे उवल्लिइजा, जे तत्थ अहासमन्नागए तं जहा-इकडे वा जाव पलाले वा तस्स लाभे संवसिज्जा, तस्स अलाभे उक्कुडुबो वा नेसजियो वा विहरिज्जा, छट्ठा पडिमा 6 / ग्रहावरा सत्तमा पडिमा-जे भिक्खू वा (2) अहासंथडमेव उग्गहं जाइज्जा, तंजहा--पुढविसिलं वा कट्ठसिलं वा ग्रहासंथडमेव तस्स लाभे संते संवसिज्जा, तस्स अलाभे उक्कुडुबो वा नेसजियो वा विहरिजा, सत्तमा पडिमा 7 / इच्चेयासिं सत्तरहं पडिमाणं अन्नयरं जहा पिंडेसणाए ॥सू. 161 // सुयं मे पाउसंतेणं भगवया एवमक्खायं-इह खलु थेरेहिं भगवंतेहिं पंचविहे उग्गहे पन्नत्ते, तंजहादेविंदउग्गहे 1, रायउग्गहे 2, गाहावइउग्गहे. 3, सागारियउग्गहे 4, साहम्मियउग्गहे 5, एवं खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खुणी ए वा सामग्गियं जं सव्वठेहिं सहिए सया जएजासि तिबेमि, उग्गहपडिमा सम्मत्ता।सू० 162 / / // इति द्वितीय उद्देशकः // 2-1-7-2 // // इति सप्तममध्ययनम् // 2-1-7 // मूलतः षाडशमध्ययनम् // 16 // // इति प्रथमा चूला // श्रु० २-चू० 1 //

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