Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 01 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 131
________________ 1- 1 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः // 4 : शब्द-अध्ययनं 4 // से भिक्खू वा (2) मुइंगसदाणि वा नंदीसदाणि वा झल्लरीसदणि वा अन्नयराणि वा तहप्पगाराणि विख्वरूवाइं सदाई वितताई कन्नसोयणपडियाए नो अभिसंधारिजा गमगाए 1 // से भिक्खू वा (2) ग्रहावेगझ्याई सहाई सुगोइ, तं-वीणामहाणि वा विपंचीसदाणि वा पिप्पी(सद्धी)सगलबाणिवा तूणयसहाणि वा वणवीणि यसदाणि वा तुबवीणियसहाणि वा ढेकुण महाई यन्नयराई तहप्पगाराई विख्वरूवाई सद्दाई वितताई करागासोयपडियाए नो अभिसंधारिजा गमणाए 2 // से भिक्ग्यू वा (2) यहादेगइयाइं महाई सुगोइ, तंजहा-तालसद्दाणि वा कंसतालसहाणि वा लत्तियसदाणि वा गोधियसदाणि वा किरिकिरियासदाणि वा यन्नवराणि वा तहप्पगाराणि विरूवरूवाई सदाणि कराणसोयपडियाए नो अभिसंधारेजा गमणाए 3 // से भिक्खू वा (2) ग्रहावेगइयाई सद्दाणि सुगोइ तंजह.-संखसदाणि वा वेणुसद्दागिा वा वंमसहाणि या खरमुहिमहाणि वा परिपिरियासदाणि वा अन्नयराई तहप्पगाराई विरूवरूवाई महाई झुमिराई कन्नसायपडियाए नो अभिसंधारेजा गमणाए 4 ॥सू० 168 // से भिक्ग्यू वा (2) ग्रहावेगइयाइं सहाई सुणेइ तंजहा- बप्पाणि वा फलिहाणि वा जाव मराणि वा सागराणि वा सरसरपंतियाणि वा अन्नयराई वा तहप्पगाराई विख्वरूवाइं सहाई कगणसोयपडियाए नो अभिसंधारिजा गमणाए १॥से भिक्खू वा (2) ग्रहावेगइयाइं सदाइं सुणोई तंजहा-कच्छाणि वा माणि वा गहणाणि या वणाणि वा रणदुग्गाणि पव्वयाणि वा पव्वयदुगाणिं वा यन्नयराई वा तहप्पगाराई विरूवरूवाई सदाई सो य पडियाए नो अभिसंधारिजा गमणाए / से भिक्खू वा (2) ग्रहावेगइयाई सद्दाइं सुणेइ, तंजहा-गामाणि वा नगराणि वा निगमाणि वा रायहाणाणि वा यासम

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