Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 01 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ श्रीमदाचाराङ्गसूत्रम् / श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 7 ] [109 तत्युग्गहंसि एवोग्गहियंसि जे तत्थ गाहावइण वा गाहावइपुत्ताण वा सूई वा पिप्पलए वा कराणसोहणए वा नहच्छेयणए वा तं अप्पणो एगस्स यहाए पाडिहारियं जाइज्जा नो अन्नमन्नल्स दिज्ज वा अणुपइज्ज वा, सयंकराणज्जतिकटु 2 / से तमायाए तत्थ गच्छिज्जा (2) पुवामेव उत्ताणए हत्थे कटु भूमीए वा ठवित्ता इमं खलु इमं खलु त्ति बालोइज्जा, नो चेव णं सयं पाणिणा परपाणिसि पच्चप्पिणिज्जा ३सू. 157 // से भिक्खू वा (2) से जं पुण उग्गहं जाणिज्जा अणंतरहियाए पुढवीए जाव संताणए तहप्पगारं उग्गह नो उगिरिहज्ज वा पगिरिहज वा 1 // से भिक्खू वा (2) से जं पुण उग्गहं जाणिज्जा, थूणंसि वा (4) तहप्पगारे अंतलिक्खजाए दुबद्धे जाव नो उगिरिहज्ज वा (2) २॥से भिक्खू वा (2) से जं पुण उग्गहं जाणिज्जा, कुलियंसि वा (4) जाव नो उगिरिहज्ज वा (2) 3 // से भिक्खू वा (2) से जं पुण उग्गहं जाणिज्जा खंधसि वा अन्नयरे वा तहप्पगारे जाव नो उग्गहं उगिरिहज्ज वा (2) 4 // से भिक्खू वा (2) से जं पुण उग्गहं जाणिज्जा ससागारियं सागणियं सउदयं सइत्थिं सक्खुड्डपसुभत्तपाणं नो पन्नस्स निक्खमणपवेसे जाव धम्माणुयोगचिंताए, सेवं नच्चा तहप्पगारे उवस्सए ससागारिए जाव सक्खुड्डपसुभत्तपाणे नो उवग्गहं उगिरिहज्ज वा (2) 5 // से भिक्खू वा (2) से जं पुण उग्गहं जाणिज्जा गाहावइकुलस्स मज्झमज्झेणं गंतु पंथे पडिबद्धं वा नो पन्नस्स जाव सेवं नच्चा तहप्पगारे उवस्सए नो उग्गहं उगिरिहज्ज वा (2) 6 // से भिक्खू वा (2) से जं पुण उग्गहं जाणिज्जा, इह खलु गाहावइ वा जाव कम्मकरीयो वा अन्नमन्नं अक्कोसंति वा तहेव तिल्लादि सिणाणादि सीयोदगवियडादि निगिणाइ वा जहा सिज्जाए अालावगा, नवरं उग्गहवत्तव्वया 7 // से भिक्खू वा (2) से जं पुण उग्गहं जाणिज्जा, पाइन्नसंलिक्खे नो पन्नस्स जाव चिंताए तहप्पग.रे उबस्सए नो उग्गहं उगिरिहज्ज वा (2)

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