Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 01 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 120
________________ श्रीमदाचारागसूत्रम् / / श्रुतस्कंधः 2 अध्ययनं 6 ] [107 वसाए वा सिणाणादि जाव अनयरंसि वा तहप्पगारंसि थंडिलंसि पडिलेहिय (2) पमज्जिय (2) तो संजयामेव ग्रामज्जिज्जा 6 / एवं खलु जाव सया जएज्जा तिबेमि 7 ॥सू० 152 // // इति प्रथमोद्देशकः // 2-1-6-1 // // अध्ययनं-६ : उद्देशकः-२॥ से भिवखू वा (2) गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए पविठे समाणे पुवामेव पेहाए पडिग्गहगं अवहट्ट पाणे पमज्जिय रयं तो संजयामेव, गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए निक्खमिज्ज वा पविसिज्ज वा केवली ब्रूया, अायाणमेयं ? अंतो पडिग्गहगंसि पाणे वा बीए वा हरिए वा परियावज्जिज्जा, ग्रह भिक्खूणं पुव्वोवइट्ठा एस पतिराणा, जं पुवामेव पेहाए पडिग्गहं यवहट्ट पाणे पमज्जिय रयं, तो संजयामेव,गाहावइकुलं पिडवायपडियाए निक्खमिज्ज वा 2 ॥सू. 153 // से भिक्खू वा (2) जाव समाणे सिया से परो ग्राहट्ट अंतो पडिग्गहगंसि सीयोदगं परिभाइत्ता नीहट्ट दलज्जा , तहपगारं पडिग्गहगं परहत्यंसि वा परपायसि वा अफासुयं जाव नो पडिगाहिज्जा, से य ग्राहच्च पडिग्गहिए सिया खिप्पामेव उदगंसि साहरिजा, से पडिग्गहमायाए पाणं परिविज्जा, ससिणिद्धाए वा भूमिए नियमिजा 1 // से भिक्खू वा (2) उदउल्लं वा ससिणिद्धं वा पडिग्गहं नो श्रामजिज वा जाव पयाविज वा, अह पुण एवं जाणिजा, विगयोदए मे पडिग्गहए छिन्नसिणेहे तहप्पगारं पडिग्गहं तयो संजयामेव श्रामज्जिज वा जाव पयाविज वा 2 // से भिक्खू वा (2) गाहावाहकुलं, पविसिउकामे पडिग्गहमायाए गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए पविसिज वा निक्खमिज वा, एवं बहिया वियारभूमि विहारभूमि वा गामाणुगामं दूइजिजा, तिब्वदेसीयाए जहा बिझ्याए वत्थेसणाए नवरं इत्थ पडिग्गहे 3 / एयं खलु तस्स भिक्खुस्स भिक्खु

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