Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 01 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala
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________________ 98] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः पव्ययाणि वणाणि य रुख महल्ला पेहाए एवं वइज्जा, तंजहा-जाइमंता इ वा दीहवट्टा इ वा महालया इ वा पयायसाला इ वा विडिमसाला इ वा पासाइया इ वा जाव पडिरूवाति वा एयप्पगारं भासं असावज्ज जाव अभिकख भासिज्जा 6 // से भिक्खू वा (2) बहुसंभूया वणफला पेहाए तहावि ते नो एवं वइज्जा, तंजहा—पक्का इ वा पायखज्जा इ वा, वेलोइया इ वा, टाला इवा, वेहिया इवा, एयप्पगारं भासं सावज्जं जाव नो भासिज्जा खा से भिक्खू वा (2) बहुसंभूया वणफला ग्रंबा पेहाए एवं वइज्जा, तंजहा-- मंथडा इ वा बहुनिवट्टिमफला इ वा बहुसंभूया इ वा भूयरुचित्ति वा, एयप्पगारं भासं असावज्जं जाव भासिज्जा 8 // से बहुसंभूया योसही पहाए तहावि तायो न एवं वइज्जा, तंजहा-पका इ वा, नीलीया 3 वा, छवीइया इवा, लाइमा इ वा, भज्जिमा इ वा बहुखजा इ वा. एयप्पगारं भासं सावज्जं जाव नो भासिज्जा // से भिक्खू वा (2) बहुसंभूयायो योसहीयो पेहाए तहावि एवं वइज्जा, तंजहा–रूढा इवा, बहुसंभूया इ वा, थिरा इ वा, ऊसदा इवा, गन्भिया इवा, पसूया इ वा, ससारा इवा, एयप्पगारं भासं असावज्ज जाव भासिज्जा 10 // ॥सू. 138 // से भिक्खू वा (2) तहप्पगाराई सदाइं सुणिज्जा तहावि एयाइं नो एवं वइज्जा. तंजहा--सुसहोत्ति वा, दुसरेत्ति वा, एयप्पगारं भासं सावज्जं नो भासिज्जा 1 // से भिवखू वा (2) तहावि ताई एवं वइज्जा, तंजहा--सुसह सुसद्दित्ति वा दुसद्द दुसदित्ति वा एयप्पगारं असावज्जं जाव भासिज्जा, एवं स्वाइं किराहेत्ति वा 5, गंधाई सुरभि-गंधित्ति वा (2) रसाइं तित्ताणि वा (5) फासाइं कक्खडाणि वा (8) 2 // ॥सू. 131 / से भिवरखू वा (2) वंता कोहं च माणं च मायं च लोभं च अणुवीइ निट्ठाभासी निसग्मभासी अतुरियभासी विवेगभासी समियाए संजए भासं भासिज्जा 5 // एवं खलु तस्स भिवखुस्स भिक्खुणीए वा जाव सया जइज्जासि तिबेमि ॥सू० 140 // // इति द्वितीयोद्देशकः // 2-1-4-2 // // इति चतुर्थमध्ययनं // 2-1-4 //

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