Book Title: Agam Sudha Sindhu Part 01 of 01
Author(s): Jinendravijay Gani
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 71
________________ 58] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः :: प्रथमो विभागः सिज वा योभासिज्ज वा एवं खलु तस्स भिक्खुस्स वा भिक्खुणीए वा सामग्गिय जाव जएजासित्ति बेमि ॥सू. 30 // // इति पंचमोद्देशकः // 2-1-1-5|| // अध्ययनं-१ : उद्देशकः 6 // से भिक्खू वा (2) जाव से जे पुण जाणिजा-रसेसिणो वहवे पाणा घासेसणाए संथडे संनिवइए पेहाए, तं जहा कुक्कुडजाइयं वा सूयरजाइयं अग्गपिंडसि वा वायसा संथडा संनिवइया पेहाए सइ परक्कमे संजया नो उज्जुयं गच्छिजा ॥सू. 31 // से भिक्खू वा (2) जाव नो गाहावइ. कुलस्स वा दुवारसाहं अवलंबिय 2 चिट्ठिज्जा, नो गाहावइकुलस्स वा दगच्छड्डणमत्तए चिट्ठिज्जा नो गाहावइकुलस्स वा चंदणिउयए चिट्ठिज्जा, नो गाहावइकुलस्स वा सिणाणस्स वा वच्चस्स वा संलोए सपडिदुवारे चिट्ठिज्जा, नो अलोयं वा थिग्गलं वा संधि वा दगभवणं वा बाहायो पगिभिय (2) अंगुलियाए वा उदिसिय (2) उराणमिय (2) अवनमिय (2) निज्झाइज्जा, नो गाहावइयंगुलियाए उद्दिसिय (2) जाइज्जा, नो गाहावइअंगुलिए चालिय (2) जाइज्जा, नो गाहावइअंगुलिए तज्जिय (2) जाइज्जा, नो गाहावइगुलिए उकखुलंपिय (उक्खलुदिय) (2) जाइज्जा, गाहावई वंदिय (2) जाइज्जा नो वयणं फरसं वइज्जा ।सू० 32 // श्रह तत्थ कंचि भुजमाणं पेहाए गाहावई वा जाव कम्मकरिं वा से पुवामेव थालोइज्जा-पाउसोति वा भइणित्ति वा दाहिसि मे इत्तो अन्नयर भोयणजायं ? 1 / से सेवं वयंतस्स परो हत्थं वा मत्तं वा दविं वा भायणं वा सीयोदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण या उच्छोलिज्ज वा पहोइज्ज वा 2 से पुवामेव वालोइज्जा-अाउसोत्ति वा भइणित्ति वा ! मा एयं तुम हत्थं वा (4) सीयोदगवियडेण वा (2) उच्छोलेहि वा (2), अभिकखसि मे दाउं एवमेव दलयाहि 3 // से सेवं वयंतस्स परो हत्थं वा (1) सीयोदग

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