Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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प्रज्ञापनास्त्रे दक्षिणेन असंख्येयगुणाः, दक्षिणेभ्यस्तमायाः पृथिव्या नैरयिकेभ्य पश्चम्याः धूमप्रभायाः पृथिव्याः नैरयिकाः पौरस्त्यपश्चिमोत्तरेण असंख्येयगुणाः, दक्षिः णेन असंख्येयगुणाः, दाक्षिणात्येभ्यो धूमप्रमापृथिवीनैरयिकेभ्य श्चतुर्थ्याः पङ्कप्रभायाः पृथिव्याः नैरयिकाः पौरस्त्यपश्चिमोत्तरेण असंख्येयगुणाः, दक्षिणेन असंख्येयगुणाः, दाक्षिणात्येभ्यः पङ्कप्रभापृथिवीनैरयिकेभ्य स्तृतीयायाः बालकाप्रभायाः पृथिव्याः नैरयिकाः पौरस्त्यपश्चिमोत्तरेण असंख्येयगुणाः दक्षिणेन पृथ्वी के (नेरइया) नैरयिक (पुरच्छिम पच्चत्थिम उत्तरेणं) पूर्व, पश्चिम उत्तर में (असंखेज्जगुणा) असंख्यात गुणा हैं (दाहिणेणं असंखेजगुणा) दक्षिण में उनसे भी असंख्यात गुणा हैं (दाहिणिल्लेहितो तमाए पुढवीनेरइएहितो) दक्षिण दिशा के तमःप्रमा पृथ्वी के नारकों की अपेक्षा (पंचमाए धूमप्पभाए पुढवीए) पांचवीं धूमप्रभा पृथिवी के (नेरइया) नारक (पुरच्छिम पच्चस्थिम उत्तरेणं) पूर्व, पश्चिम उत्तर में (असंखेजगुणा) असंख्यात गुणा हैं (दाहिणेणं असंखेजगुणा) दक्षिण में असंख्यात गुणा हैं (दाहिणिल्लेहितो धूमप्पभा पुढवीनेरइए हिंतो) दक्षिण के धूमप्रभा पृथिवी के नारकों से (चउत्थीए पंकप्पमाए पुढवीए) चौथी पंकप्रभा पृथिवी के (नेरइया) नारक (पुरच्छिम पच्चत्थिम उत्तरेणं असंखेजगुणा) पूर्व, पश्चिम, उत्तर में असंख्यात गुणा हैं (दाहिणणं असंखेजगुणा) दक्षिण में उससे भी असंख्यात गुणा हैं (दाहिणिल्लेहितो पंकप्पभा पुढचीनेरइए हिंतो) दक्षिण के पंकप्रभा पृथिवी के नारकों से (तइयाए वालुयप्पभाए पुढयीए) तीसरी बालु
पृथ्वीना नारथी (छडाए) छटी (तमाए पुढवीए) तम:प्रमा पृथ्वीना (नेरइया) नैरपि। (पुरच्छिमपच्चत्थिम उत्तरेणं) पूर्व, पश्चिम, उत्तरमा (असंखेज्ज गुणा) ससच्यात शुष्॥ छ (दाहिणिल्लेहितो तमाए पुढवी नेरइएहिंतो) क्षिा हिशाना तम:प्रमा पृथ्वीना ना२नी पपेक्षाये (पंचमाए धूमप्पभा पुढवीए) पायमी धूमप्रमा पृथ्वीना (नेरइया) ना२४ (पुरच्छिमपच्चत्थिम उत्तरेणं) पूर्व, पश्चिम उत्तरमा (असंखेज्जगुणा) मसच्यात गुणा छ (दाहिणणं असंखेज्जगुणा) दक्षिणभा असण्यात गुणा छ (दाहिणिल्लेहितो धूमप्पभा पुढवी नेरइएहितो) दक्षिाना धूमना पृथ्वीना नाथी (चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए) याथी ५.४५मा पृथ्वीना (नेरइया) ना२४ (पुरच्छिम पच्चस्थिम उत्तरेणं असंखेज्ज गुणा) पू, पश्चिम, उत्तरमा २५च्यात शुष्प छ (दाहिणेणं असंखेज्जगुणा) दक्षिणमा तेनाथी ५४ २१सच्यात गुणा छ (दाहिणिल्लेहिंतो पंकप्पभा पुढवी नेरइएहितो) दृक्षिगुना ५४मा पृथ्वीना नाथी (तइयाए वालुयप्पभाए पुढवीए) की
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨