Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Varunmuni, Sanjay Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 356
________________ E55555 55 55听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 B55555555 55555555555 ११३. तस्स इमा पंच भावणाओ पढमस्स वयस्स होंति-पाणाइवायवेरमण-परिरक्खणट्टयाए। पढमं ठाण-गमण-गुणजोगजुंजणजुगंतरणिवाइयाए दिट्ठीए ईरियव्वं कीड-पयंग-तस-थावरदयावरेण णिच्चं पुष्फ-फल-तय-पवाल-कंद-मूल-दग-मट्टिय-बीय-हरिय-परिवज्जिएण सम्म। एवं , खलु सव्वपाणा ण हीलियव्या, ण किंदियव्या, ण गरहियव्वा, ण हिंसियव्या, ण छिंदियचा, ण भिंदियव्या, ण वहेयव्वा, ण भयं दुक्खं च किंचि लब्भा पावेउं, एवं ईरियासमिइजोगेण भाविओ भवइ अंतरप्पा असबलमसंकिलिट्टणिव्वणचरित्तभावणाए अहिंसए संजए सुसाहू।। ११३. पाँच महाव्रतों में से प्रथम महाव्रत की पाँच भावनाएँ प्राणातिपातविरमण अर्थात् अहिंसा महाव्रत की रक्षा के लिए कही गई हैं, जो इस प्रकार हैं इनमें प्रथम है- खड़े होने, ठहरने और गमन करने में स्व और पर किसी को पीड़ा नहीं देते हुए 卐 गाड़ी के युग (जूवे) प्रमाण भूमि पर दृष्टि रखकर अर्थात् ३.५ हाथ आगे की भूमि देखते हुए निरन्तर कीट, पतंग, त्रस, स्थावर जीवों की दया में तत्पर होकर, फूल, फल, छाल, प्रवाल-पत्ते-कोंपल-कंद, ऊ मूल, जल, मिट्टी, बीज एवं हरितकाय-दूब आदि को (कुचलने से) बचाते हुए, सम्यक् प्रकार की यतना के साथ चलना चाहिए। इस प्रकार चलने वाले साधु को किसी भी प्राणी की हीलना-उपेक्षा नहीं 5 करनी चाहिए, निन्दा नहीं करनी चाहिए, गर्दा नहीं करनी चाहिए, उनकी हिंसा नहीं करनी चाहिए, 卐 उनका छेदन नहीं करना चाहिए, भेदन नहीं करना चाहिए, उन्हें व्यथित नहीं करना चाहिए। इन पूर्वोक्त के जीवों को लेश मात्र भी भय या दुःख नहीं पहुँचाना चाहिए। इस प्रकार के सम्यक् आचरण से साधु ॐ ईर्यासमिति में मन, वचन, काय की प्रवृत्ति से भावित होता है तथा शबलता-(मलिनता) से रहित, संक्लेश से रहित, निरतिचार चारित्र की भावना से युक्त, संयमशील एवं अहिंसक सुसाधु कहलाता है। । Now the author describes the five sentiments that infuse interest, curiosity, faith, enthusiasm and resolve in Ahimsa Samvar. One can immaculately practice. Ahimsa by acquiring these five sentiments. The sentiments are detailed as follows: 113. Out of the five major vows, five sentiments have been mentioned in context of the first major vow of non-violence so as to ensure its proper practice. They are as follows The first one is - one should properly use his sense of discrimination in standing staying and in going. He should not cause trouble to any one, He should properly look at a distance of one yoke or 3.5 cubits from himself. He should continuously have a feeling of compassion for all mobile living beings such as ants, moths and also for immobile living ___ beings. He should avoid trampling flowers, fruits, bark, leaves, buds, root, water, earth, tiny grass etc. He should walk with a sense of right | श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र (284) Shri Prashna Vyakaran Sutra 9994545555555555555555555555558 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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