Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Varunmuni, Sanjay Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 386
________________ 5555555555555555555555555555555555558 4 back-bites. He speaks harsh words. He speaks false, back-biting and harsh words. He quarrels. He becomes inimical. He takes interest in talk about women, food, administration and the state. He may do all the said si three. He goes against truth and good conduct. He adversely affects feelings of gratitude. He ignores all the three namely truth, good conduct and humility. A false person becomes the subject of hatred in the world. He becomes a storehouse of faults and a subject of dishonour. He becomes subject of all the three namely hatred, faults and disrespect. A person whose heart is burning with anger utters suchlike unpalatable 41 words. So one should never be angry. A person who remains forgiving a true practitioners of the restraint of hands, feet and mouth. Such a monk is courageous and straight forward in his ascetic conduct. तीसरी भावना-निर्लोभता THIRD SENTIMENT : ABSENCE OF GREED १२४. तइयं-लोभो ण सेवियवो, १ लुद्धो लोलो भणेज्ज अलियं खेत्तस्स व वत्थुस्स व कएण, २ . लुद्धो लोलो भणेज्ज अलियं, कित्तीए लोभस्स व कएण, ३ लुद्धो लोलो भणेज अलियं, इड्ढीए व सोक्खस्स व कएण, ४ लुद्धो लोलो भणेज्ज अलियं, भत्तस्स व पाणस्स व कएण, ५ लुद्धो लोलो भणेज्ज + अलियं, पीढस्स व फलगस्स व कएण, ६ लुद्धो लोलो भणेज्ज अलियं, सेज्जाए व संथारगस्स व कएण, ७ . लुद्धो लोलो भणेज्ज अलियं, वत्थस्स व पत्तस्स व कएण, ८ लुद्धो लोलो भणेज्ज अलियं, कंबलस्स व ॐ पायपुंछणस्स व कएण, ९ लुद्धो लोलो भणेज्ज अलियं, सीसस्स व सिस्सिणीए व कएण, १० लुद्धो लोलो भणेज्ज अलियं, अण्णेसु य एवमाइसु बहुसु कारणसएसु। ___ लुद्धो लोलो भणेज्ज अलीयं, तम्हा लोभो ण सेवियव्वो, एवं मुत्तीए भाविओ भवइ अंतरप्पा संजयकर-चरण-णयण-वयणो सूरो सच्चज्जवसंपण्णो। १२४. तीसरी भावना लोभसंयम-निर्लोभता युक्त है। लोभ का सेवन नहीं करना चाहिए। (क्योंकि):___ (१) लोभी मनुष्य लोभ के वशीभूत होकर क्षेत्र-खेत-खुली भूमि और वास्तु-मकान आदि के लिए असत्य भाषण करता है। ___ (२) लोभी-लालची मनुष्य प्रतिष्ठा के लिये या लोभ-धन-प्राप्ति के लिए असत्य भाषण करता है। (३) लोभी-लालची मनुष्य ऋद्धि-वैभव या इन्द्रिय सुख के लिए असत्य भाषण करता है। (४) लोभी-लालची मनुष्य भोजन के लिए या पानी (पेय) के लिए असत्य भाषण करता है। (५) लोभी-लालची मनुष्य पीठ-पीढ़ा या फलक-पाट प्राप्त करने के लिए असत्य भाषण करता है। a5555555555555555555555555555555555555555555555555 听听听听听听听听听听听听听$55 $55 5 55 F श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र (310) Shri Prashna Vyakaran Sutra Shri Prush 555555555555555555555555555555555558 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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