Book Title: Agam 10 Ang 10 Prashna Vyakaran Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Varunmuni, Sanjay Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 360
________________ 055555555555555555555555555555555555 卐))))))))))))555555555555555))))))))))) चित्र-परिचय 161 Illustration No.16 अहिंसा संवर की पाँच भावनाएँ - इस अहिंसा संवर को पुष्ट करने के लिए पाँच भावनाएं बताई गई हैं (1) इर्यासमिति भावना-इस भावना से भावित साधु खड़े होने, ठहरने और चलने में 'स्व' और 'पर' को पीड़ा नहीं देते हुए, साढ़े तीन हाथ (युग प्रमाण) आगे की भूमि देखते हुए त्रस एवं स्थावर जीवों की हिंसा से बचते हुए सम्यक् प्रकार से यतना के साथ चलते हैं। (2) मनः समिति भावना-इस भावना से भावित साधु अपने मन में पापकारी कलुषित विचारों को नहीं आने देते और छह काय जीवों की हिंसा से सदैव ही बचने का शुद्ध भाव मन में रखते हैं। (3) वचन समिति भावना-वचन समिति भावना से भावित साधु अहिंसक निर्दोष वाणी का उपयोग करते हैं। (4) एषणा समिति भावना-आहार की गवेषणा करते समय साधु गृहस्थ के घर में जाये तब यदि भोजन चूल्हे पर चढ़ा हो, अग्नि आदि का स्पर्श होता हो, सचित्त वस्तु का स्पर्श होता हो, दाता कच्चा जल देवे, नमक के ढेले आदि सचित्त वस्तु देवे तो वह मुनि को लेना नहीं कल्पता। (5) आदान-निक्षेपण समिति-संयम साधना में उपयोगी उपकरणों-वस्त्र, पात्र, रजोहरण, मुखवस्त्रिका आदि को यत्नापूर्वक ग्रहण करना और यत्नापूर्वक रखना, आदान-निक्षेपण समिति है। इन उपकरणों की प्रतिदिन प्रातः और सांय के समय प्रतिलेखना (देखना-निरीक्षण करना), प्रमार्जना (पूंजना) आदि करना चाहिए। -सूत्र 113-117, पृ. 285-290 FIVE SENTIMENTS OF AHIMSA SAMVAR Five sentiments have been prescribed for enhancing this Ahimsa Samvar (1) Care in movement - Ascetics enkindled with this feeling move taking proper care while standing walking and stopping. They move observing three and half cubit ground in front, avoiding mobile and immobile beings and not causing pain to self and others. (2) Care of mind - Ascetics enkindled with this feeling do not allow sinful thoughts to rise in their mind. They always nurture attitude of refraining from indulgence in violence towards all six classes of living beings. (3) Care of speech - Ascetics enkindled with this feeling always employ faultless nonviolent speech. (4) Care in alms-seeking - Ascetics enkindled with this feeling avoid accepting faulty food. Some of these faults are - food being cooked, food in touch of fire or any thing having living organism, non-boiled water, lump of salt or any other thing with living organism.: (5) Care in taking and placing things - Ascetics enkindled with this feeling accept and places ascetic equipment with proper care. This includes clothes, pots, ascetic-broom, fi and handkerchief. They also inspect and cleanse these every morning and evening. - Sutra-113-117, pages-285-290 04555555 5 555555550 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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