Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra
Author(s): K R Chandra, Dalsukh Malvania
Publisher: Prakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
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PUBLICATIONS OF 'PRAKRIT JAIN VIDYA VIKAS FUND'
AHMEDABAD भारतीय भाषाओं के विकास और साहित्य की समृद्धि में श्रमणों का
महत्वपूर्ण योगदान : के. आर. चन्द्र, १९७९, रू. 10-00 २. प्राकृत-हिन्दी कोश : के. आर. चन्द्र (पाइयसद्दमहण्णवो की किंचित्
परिवर्तित आवृत्ति), १९८७, रू. 120-00 ३. English Translation of Kouhala's Lilavai-Kaha - Prof. S. T. Nimkar,
1988, रू. 30-00 नम्मयासुंदरीकहा (श्री महेन्द्रसूरिकृत, हिन्दी अनुवाद सहित),
के. आर. चन्द्र, १९८९, रू. 40-00 ५. आरामशोभा रासमाला (गुजराती) : प्रो. जयंत कोठारी, १९८९,
रू. 90-00 ६. जैनागम स्वाध्याय : पं. दलसुखभाई मालवणिया (गुजराती), १९९१
रू. 100-00
जैनधर्म स्वाध्याय: पं. दलसुखभाई मालवणिया (गुजराती), १९९१,
रू. 40-00 ८. जैन आगम साहित्य : संपा. के. आर. चन्द्र, १९९२,
रू. 100-00 प्राचीन अर्धमागधी की खोज में : के. आर. चन्द्र, १९९२,
रू. 32-00 १०. Restoration of the Original Language of Ardhamāgadhi Texts :
. R. Chancra, 1994, रू. 60-00 ११ परम्परागत प्राकृत व्याकरण की समीक्षा और अर्धमागधी : के. आर. चन्द्र, १९९५, .
रू. 50-00 १२. Jain Philosophy and Religion : K.R. Chandra, 1996,
रू. 12-00 १३. आचाराङ्ग : प्रथम श्रुत-स्कंध : प्रथम अध्ययन (हस्तप्रतोर में उपलब्ध प्राचीन
पाठों (शब्द-रूपों) के आधार पर पुनः संम्पादित, १९९७, रू. 150-00 १४. इसिभासियाइं (ऋषिभाषितानि), अशेष शब्द-रूप कोश (प्रेस में)
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