Book Title: Agam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 11
________________ ॥आचारागसूत्रके २, ३, ४ अध्ययनों की विषयानुक्रमणिका ॥ (द्वितीय अध्ययन-प्रथम उद्देश) विषय पृष्ठाङ्क १ प्रथमाध्ययन के साथ द्वितीय अध्ययनका सम्बन्धकथन, द्वितीय अध्ययन के छहों उद्देशों के विषयों का संक्षिप्त वर्णन । १-३ २ द्वितीय अध्ययन के प्रथम सूत्रका अवतरण और प्रथम सूत्र । ४-५ ३ शब्दादि कामगुण ही मूलस्थान अर्थात् मोहनीयादि के आश्रय हैं, उन शब्दादि-कामगुणों से युक्त प्राणी परितापयुक्त बना रहता है, और उसकी उस परिस्थितिमें जो भावना रहती है उसका वर्णन । ६-२८ ४ द्वितीय सूत्रका अवतरण और द्वितीय सूत्र। २९ ५ शब्दादिकामगुणमोहित प्राणी वृद्धावस्थामें मूढताको प्राप्त करता है - इसका वर्णन । ३०-५६ ६ तृतीय सूत्रका अवतरण और तृतीय मूत्र । ५७ ७ वृद्धावस्था में उस मनुष्य की जो दशा होती है- उसका वर्णन । ५८-७२ ८ चतुर्थ भूत्रका अवतरण और चतुर्थ सूत्र । ७२-७३ ९ मनुष्य की वृद्धावस्थामें जो दुर्दशा होती है उसे विचार कर संयमपालन में मुहूर्तमात्र भी प्रमाद न करे। ७४-८६ १० पञ्चम सूत्र का अवतरण और पश्चम सूत्र । ८७ ११ प्रमादी पुरुषों के कार्य का वर्णन । ८८-९५ १२ छठे सूत्रका अवतरण और छठा सूत्र । १३ माता पिता या पुत्र कोई भी इहलोक-सम्बन्धी और परलोकसम्बन्धी दुःखों से बचाने में समर्थ नहीं हैं। ___९६-९७ १४ सप्तम सूत्रका अवतरण और सप्तम सूत्र । १५ असंयत पुरुष उपभोगके लिये धनसंग्रह करता है और उपभोग के समय उसे कासश्वासादि रोग हो जाते हैं, उस समय उसके माता पिता और पुत्र कोई भी रक्षक नहीं होते हैं। ९९-१०० શ્રી આચારાંગ સૂત્ર : ૨

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