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आचा०
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सूत्रम्
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॥२३१॥
॥२३१॥
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(जीवोनो समूह) बंधाय छे. अने धर्म करवाथी मूकाय छे. ते पण आ अध्ययनमा बताव्यु छे. ते भाव लोक विजय वडेज | फळ छे ते बतावे छे. विजिओ कसायलोगो सेयं खु तओ नयत्तिउं होइ । कामनियत्तमई खलु संसारा मुच्चई खिप्पं ॥१६८॥
जेणे कषाय लोकनो विजय कों, ते संसारथी जल्दी मुकाय छे. तेथी कषायथी दूर रहे. तेज कल्याणकारी छे. (खु अव्यय "ज" ना अर्थमांज छे.)
प्रश्न-कषाय लोकथीज दूर रखो. तेज संसारथी मूकाय छे के बीजा कोइ पापना हेतुओ छे. के जे दूर करवाथी मोक्ष मळे ? उत्तर-काम एटले संसारी विषयनी जे खोटी पुद्धि छे ते पण निवारण करवाथीज मोक्ष मळे छे?
नाम निष्पन्न निक्षेपो पुरो थयो. हवे सूत्र आलापक निक्षेपाने कहे छे तेने माटे सूत्र जोइए ते मूत्र निर्दोष उच्चारचं जोइए ते | आ छे मूळ सूत्र
“जे गुणे से मुलट्ठाणे जे मूलठ्ठाणे से गुणे" जे गुण छे ते मूळ स्थान छे अने जे मूळ स्थान छे ते गुण छे. एना निक्षेप नियुक्ति अनुगम बडे दरेक पदे निक्षेपो कराय छे. तेमां गुणनो पंदर भेदे निक्षेपो छे. ते कहे छे. दवे खित्ते काले फल पज्जव गणण करण अभासे । गुणअगुणे अगुणगुणेभव सील गुणे य भावगुणे ॥१६९॥
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