Book Title: Abhi Dharm Samucchaya Bhasyam
Author(s): Nathmal Tatia
Publisher: K P Jayswal Research Institute
________________ 92 अभिधर्मसमुच्चयभाष्यम् भावनां गच्छन्ति, तेषु विभुत्वलाभात् / विभुत्वं पुनरुत्तप्तसंमुखी भावेन वशिता वेदितव्या / $ 103. निष्ठामार्गः सर्वदौष्ठुल्यानां प्रतिप्रस्रब्धेरिति विस्तरः // $ 104. तत्र [T. 82B] सर्वदौष्ठ्ल्यानि चतुर्वितिर्भवन्ति / तद्यथा (i) सर्वत्रगमभिलापदौष्ठुल्यं या चक्षुरादिसर्वधर्मनामाभिनिवेशवासनाऽऽलयविज्ञाने संनिविष्टाऽनादिकालानुसता, याऽसावुच्यते प्रपञ्चवासनेति, यतश्चक्षुरादयो धर्माः सनामा भिनिवेशाः पुनः पुनः प्रवर्तन्त इति / (ii) वेदितदौष्ठुल्यं सास्रवाणां वेदनानां वासना। (iii) क्ले [Ch. 742B] शदौष्ठुल्यं क्लेशानामनुशयः / (iv) कर्मदौष्ठुल्यं सास्रवाणां कर्मणां वासना। (v) विपाकदौष्ठुल्यं विपाकस्याकर्मण्यता। (vi) क्लेशावरणदौष्ठुल्यं तीवायतक्लेशता। (vii) कर्मावरणदौष्ठल्य मार्गान्तरायिकानन्त [Ms. 84B]र्यादिककर्मावृतता। (viii) विपाकावरणदौष्ठुल्यं सत्याभिसमयविधुरनारकाद्यात्म भावप्रतिलम्भः। (ix) निवरणदौष्ठुल्यं कुशलपक्षप्रयोगान्तरायिककामछन्दाद्यभिभूतता / (x) वितर्कदौष्ठुल्यं प्रव्रज्याभिरति' विबन्धकामवितर्काद्यभिभूतता। (xi) आहारदौष्ठुल्यमत्यल्पबहुभोजननेन प्रयोगायोग्यता। (xii) मैथुनदौष्ठुल्यं द्वयद्वयसमापत्तिकृता कायचितव्यथा। [T 83A] (xiii) स्वप्नदोष्ठुल्यं मिद्धकृतमाश्रयजाड्यम् / (xiv) व्याधिदोष्ठुल्यं धातुवैषम्यकृताऽस्वस्थता। (xv) जरादौष्ठुल्यं भूतविपरिणामकृताऽविधेयता। (xvi) मरणदौष्ठुल्यं म्रियमाणस्य सर्वेन्द्रियाकुलता। (xvii) परिश्रमदौष्ठुल्यमतिगमनादिकृतोऽङ्गमर्दः / (xviii) दृढदौष्ठुल्यं यथासंभवमेतदेवाभिलापदौष्ठुल्यादिकमपरिनिर्वाणवताम् / (xix-xxi) औदारिकमध्यसूक्ष्म 1. T. उत्तप्तं संमुखी (?), but Ch. and Asv. (T.) are same as Ms. 2 Ms. धर्माणाम° for °धर्मनामा'. 3. Ms समान° for सनाम 4. Ms. त. 5. Here Ms has "far91879 1978vqat xaracutalogazi" which appears bracketed and hence deleted. 'द्यात्म° is illegible. But the sense is confirmed by Ch. and T. 7. T. lacks अभिरति. 8. Ms. म. 9. Ms. श्र. 10. Ms. अप्रस्व. 11. T. and Ch. add. धर्म,
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