Book Title: Aagam Sambandhi Saahitya 02 Pratyek Buddhbhashitani Rushibhashitsutrani Moolam
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad

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Page 17
________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक [-] गाथा ॥१-२७|| दीप अनुक्रम [३४-६०] [भाग-2] प्रत्येकबुद्धभाषितानि ऋषिभाषितसूत्राणि अध्ययन - [४], ..........मूलं [-] / गाथा [१-२७] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः (पूर्वकाले आगमरूपेण दर्शितः) “ऋषिभाषित-सूत्राणि”-मूलं [४] 'अंगरिसि' अध्ययनं [वर्तते] उलूका पसंति, जंवा पिंति वायसा । जिंदा वा सा पसंसा वा वायुजालेय गच्छती ॥ २० ॥ जंच वाला पसंति, बा दिति कोविदा जिंदा वा ला पसंसा वा पप्याति कुरुए जने ॥ २१ ॥ जो जत्थ विज्जती भायो, जो या जत्थ ण विज्जती। सो सभावेण सच्चोबि लोकमि तु पवत्तती ॥ २२ ॥ विसं वा अमतं वावि, सभावेण उचट्टितं । चंदसूरा मणी ओता, तो अभी दिखती ॥ २३ ॥ वदंतु जणे जं से इच्छियं किं णु का (क) लेमि उदिष्णमप्पणी भावित नम णत्थि एलिसे, इति संखाए ण संजलामहं ॥ २४ ॥ अक्खोवंजणमाताया, सीलव' सुसमाहिते । अप्पणा चैवमप्याणं, चोदितो वहते रहे । २५ ॥ सीलक्खरहमारो, णाणद सणसारथी । अप्पणा चैव अप्पाण, जदिता सुभमेहती ॥ २६ ॥ एव' से युद्धे मुझे० ॥ ४ ॥ उत्थ अंगरिसिणामयण ॥ ४ ॥ ~17~

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