Book Title: Aagam Sambandhi Saahitya 02 Pratyek Buddhbhashitani Rushibhashitsutrani Moolam
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
View full book text ________________
आगम
संबंधी
साहित्य
प्रत
सूत्रांक
[3]
गाथा
॥१-४॥
दीप
अनुक्रम
[१३२१३६]
[भाग-2] प्रत्येकबुद्धभाषितानि ऋषिभाषितसूत्राणि
अध्ययन-[१२], .......मूलं [१] / गाथा [१-४]
पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः (पूर्वकाले आगमरूपेण दर्शितः) “ऋषिभाषित-सूत्राणि"-मूलं
[१२] 'जण्णवक्कीय' अध्ययनं
---------
अणच्चा जान नाच लोपला ता ताव विणा जाब ताय वित्तेसणा ताब तार लोपसणा, से लोएस च वित्ते परिणार तोपगं गच्छे वो महापणं गच्छेज्जा, जण्ण चक्केण अरहता इसिणा युत । तजहा जहा कवीता य कविलाय. गाती दह पातलं एवं मुणी गोयग्यिव्यवि णो आलये णोऽविय संजलेज्जा ॥ १ ॥ पंचवणीमकसुद्ध जो भिक्ख सुल लाभा, हणणार विमुक्कदो ॥ २ ॥ पंथाणं रुवसंबद्ध फलावत्तिय चिन्तए । कोहाती fare सोय परम् ॥ ३ ॥ एवं मे सिद्धं बुद्ध बिरए ॥ २६ ॥ जपणचक्कीपनाप्रयण ।। १२ ।।
~27~
Loading... Page Navigation 1 ... 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78