Book Title: Aagam Sambandhi Saahitya 02 Pratyek Buddhbhashitani Rushibhashitsutrani Moolam
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
View full book text ________________
आगम संबंधी साहित्य
[भाग-2] प्रत्येकबुद्धभाषितानि ऋषिभाषितसूत्राणि
...... अध्ययन-[१४], .........मुलं [१] / गाथा [१] ......... पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: (पूर्वकाले आगमरूपेण दर्शितः)"ऋषिभाषित-सूत्राणि"-मूलं
[१४] 'बाहुक' अध्ययनं
प्रत सूत्रांक
गाथा ||१||
जुत्त' अजुत्तजोग । पमाण मिनि बाहुकेधा अरहता इलिगा वुइत - अप्पणिया खलु भो अवाणं समुसिया, ण भवंति वदन्निधे पारवतो अध्पणिया स्वान्नु भो र अप्पाणं समुसिय समकसिष भवति बद्धचिंधे सेट्ठी, रवं सेव आणुयोये जाणह | खलु भो समया माहगा गामे अदुवा रपणे अदुवा गामे पोऽवि रपणे अभिजिम्सए इमं लोयं परलोयं पंणिम्सए, टुहोऽपि लोके
अपतिद्वन, अकानए पाहुए गतेति, अकामए चरए तक अकामए कालगए णरक पत्त, अकामए पव्वइए अकामते चरते
नवं अक्रामप.कालाप सिद्धिपद अकामर, सकामए, पञ्बइए सकामय चरते तयं सकामए कालगते णरगे (ग)ते. सकामए चरते सन सकामर कालगते सिदिने सकामए ॥ ॥ एवं से सिदे बुद्ध ॥ बाहुकणामभयम्॥ १४ ॥
दीप अनुक्रम [१४४१४५]]
~29~
Loading... Page Navigation 1 ... 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78