Book Title: Aagam Sambandhi Saahitya 02 Pratyek Buddhbhashitani Rushibhashitsutrani Moolam
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad

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Page 56
________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक [3] गाथा ||१-१९|| दीप अनुक्रम [३८७ ४०६] [भाग-2] प्रत्येकबुद्धभाषितानि ऋषिभाषितसूत्राणि अध्ययन - [३५], .......... मूलं [१] / गाथा [१-१९] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः (पूर्वकाले आगमरूपेण दर्शितः) “ऋषिभाषित-सूत्राणि”-मूलं [३५] 'अद्दालईज्ज' अध्ययनं (वर्तते) तरिय कसाया ॥ १४ ॥ जागरह णरा निच्च मा मे भ्रम्मचरणे पमत्ताणं । काहिंति बहू बोरा दोगतिगमणे हिडकम् ॥ १५ ॥ अण्णायक अट्टालकम जग्गंत सोर्याणज्ञोऽसि णाहिसि वणितो संतो, ओसहमुल्ल अदितो ॥ १६ ॥ जिच्च जागरमाणस्स जागरति सुतं जे सुवति न से सुहिते, जागरमाणे सुही होति ॥ १७ ॥ जागरंत मुणि धीर, दोसा कज्जेति दूर ओ जलंत जाततेयं वा, चक्खुसा दाहभीरुणो ॥ १८ ॥ एवं से सिद्धे० ॥ ३५ ॥ अद्दा लइजमायण' ।। ३५ ।। जागरह परा -----X-----X-----X-----X----- ~56~ | || 3 ||

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