Book Title: Aagam Sambandhi Saahitya 02 Pratyek Buddhbhashitani Rushibhashitsutrani Moolam
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
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आगम संबंधी साहित्य
[भाग-2] प्रत्येकबुद्धभाषितानि ऋषिभाषितसूत्राणि
....... अध्ययन-[२४], .........मूलं H I गाथा [-1......... पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: (पूर्वकाले आगमरूपेण दर्शितः) "ऋषिभाषित-सूत्राणि"-मूलं
[२४] 'हरिगिरि अध्ययनं (वर्तते)
॥
मडझय
२५
कृषिभाषि
प्रत सूत्रांक [१] गाथा ||१-४१||
९॥14 || बेसई । छिपणकपणो जहा कोई , हसिजा छिन्ननासियं ॥३३॥ मोहोदई सयं जंतू, मंदमोहं तु विसई। हेमभूसणधारिया, जहा
लक्खाविभूसणं ॥ ३४॥ मोही मोहीण मझमि, कोलए मोहमोहिओ। गहीणं व गही मज्झ, जहत्थं गहमोहिओ ॥३५॥ बंधता तेषु
निजरता य, कम्म नणंति देहिणो । बारिगाहघडोउन्ध , घडिजंतनियंधणा ॥ ३६ ॥ बज्कए मुच्चए चेव , जीवो चित्तण कम्मुणा । बद्धो वा रज्जुपासेहिं , ईरियन्तो पओगसो ॥३०॥ कापस्स संतई चित्तं , सम्म नच्चा जिईदिए । कम्मसंताणमोक्खाय , समाहिमभिसंधए ॥ ३८॥ दन्यो खेतो चेव , कालो भावभो तहा। निच्चानिच्चं तु विण्णाय , संसार सव्वदेहियं ॥३६॥ निच्चलं कयमारोग्ग', थाणं तेलोकसकय । सब्बष्णुमगाणुगया , जीवा पार्वति उत्तम ॥ ४०॥ ॥ एवं सिके बुद्ध विरए विपाये ॥ २४ ।। हरिगिरिणामझयणं ॥२४॥
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दीप अनुक्रम [२३६२७७]
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