Book Title: Aagam Sambandhi Saahitya 02 Pratyek Buddhbhashitani Rushibhashitsutrani Moolam
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad

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Page 32
________________ आगम संबंधी साहित्य [भाग-2] प्रत्येकबुद्धभाषितानि ऋषिभाषितसूत्राणि ..... अध्ययन-[१६], .........मूलं [१] / गाथा [१-४] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: (पूर्वकाले आगमरूपेण दर्शितः) "ऋषिभाषित-सूत्राणि-मूलं | [१६] 'सोरियायण' अध्ययनं प्रत सूत्रांक म [१] गाथा ॥१-४|| सिद्धिः । जस्स खलु भो विसयायारा ण य परिस्सवन्ति इंदिया वा दवेहि से बलु उत्तमे पुरिसेत्ति लोरियायणेण अरहता इलिणा खुइतं तं कहमिति १, मणुपणेषु सह सु सोयविसयपत्तेसु णो सज्जेज्जा णो रज्जेज्जा णो मिज्झिज्जा णो विणिघायमावज्जेज्जा, मण्गुष्णेसु सदसु सोत्तविसयपत्तेसु सज्जमाणे रज्जप्राणे गिज्झमाणे सुमणो आसेवमाणे विप्पण्हतो पावकम्मस्स आदाणाए भवति, तम्हा मणुण्णामणुण्णेसु सहसु सोयविसयपत्तेसु णो सज्जेज्जा णो रज्जेजा णो गि० णो सुमणे अण्णेऽवि, एवं रुवेसु गंधेसु रसनु फासेसु, एवं विवरीपसु णो दूसेज्जा ।। दुइता इंदिया पंच, संसाराए सरीरिणं । ते च्चेव णियमिया संता, णेज्जाणाए भवंति हि ॥१॥ दुईते इंदिए पंच, रागदोसपरंगमे । कुम्मो विव सभंगाइ, सए देहम्मि साहरे ॥२॥ वण्ही सरीरमाहार, जहाजोएण जुजती। इंदियाणि य जोए य, तहा ॥ १३ ॥ ॥ १४ ॥ I जोगे वियाणसु ॥३॥॥ एवं से सिद्ध बुद्ध ॥ १६॥ सोरियायणणामायणं ॥१६॥ Mal बिअभय. दीप अनुक्रम [१७६१८०] ~32~

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