Book Title: Aagam Sambandhi Saahitya 02 Pratyek Buddhbhashitani Rushibhashitsutrani Moolam
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad

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Page 26
________________ आगम संबंधी साहित्य [भाग-2] प्रत्येकबुद्धभाषितानि ऋषिभाषितसूत्राणि ..... अध्ययन-[११], .........मूलं [१] / गाथा [१-५] ......... पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: (पूर्वकाले आगमरूपेण दर्शित:) ऋषिभाषित-सूत्राणि-मूलं [११] 'मंखलिपुत्त' अध्ययनं प्रत सूत्रांक सहिअ णेव आणच्च मुणी संसाए अणच्चाए से तातिते, मंखलिपुत्तेण अरहता इसिणा वुझ्यं से पजति वेदति खुमति घट्टति फदति चलति । ME उदीरेति त' तं भावं परिणमति ण तांता से ,से णो एजति णो वेणो ख यो घणो फ० णो च० णो उ०णो त त' भाथं परिणमति से | | गाथा ||१-५|| नातो, तालिग वाजलु गान्धि रजगाउ, नाती वल अप्पाणां च परं च चाउरनाभो संसारकताराभो तातोति ता-अलंमूढो उ जो ोता, मग्गदो अविभाषि सपरकम।। गणिजई गति', गाउँ जग पावेनि गामिण ॥ १॥ सिदकम्मो त जो वेज्जो, सत्थकम्मे य कोविओ। मोयणिज्जातो सो वीरो रोगा मोतेति रोगियां ॥ २॥ जोर जो बिहाणं तु, दवाय गुण लाघवे । सो (उ) संजोगणिकपणं, सव्वं कुणइ कारियं ॥ २॥ विज्जोपयारविष्णाना, जो श्रीमं सल संजुनो। सो वि साहइत्ताणं. का कुणइ लक्षणं ॥ ३ ॥ शिवत्तिं मोक्खमम्गस्त, सम्म जो तु 1विज्ञाण नि । रागहोसे गिराकिच्चा, मे उ सिद्धि गनिस्लति ॥ ४॥ एवं से सिद्ध बुद्ध ॥ ११ ॥ मखलिपुत्त णाममपर्ण ॥ ११॥ . १२ जपणावकीय १३भवालिअाम यण दीप अनुक्रम [१२६१३१] ~26~

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