Book Title: Aagam Sambandhi Saahitya 02 Pratyek Buddhbhashitani Rushibhashitsutrani Moolam
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 24
________________ आगम संबंधी साहित्य प्रत सूत्रांक [3] गाथा ॥१-३४|| दीप अनुक्रम [८९१२३] [भाग-2] प्रत्येकबुद्धभाषितानि ऋषिभाषितसूत्राणि अध्ययन-[९], ......... मूलं [१] / गाथा [ १ - ३४] पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण पुनः संकलितः (पूर्वकाले आगमरूपेण दर्शितः) “ऋषिभाषित-सूत्राणि”-मूलं [९] 'महाकासव' अध्ययनं ( वर्तते ) अस्थिलक्खणसभावा, निच्चो सो परमो ध्रुव ॥ ३१ ॥ दव्यतो खित्तओ बेच कालतो भवतो तहा। णिच्चापि तु विष्णेयं, सव्वभावविभावण धण्णा जिणाहिन मागं सम्मं वेदे ति माओ ।। ३३ ।। संसारे सव्वदेहि ॥ ३२ ॥ गंभीरं सव्वओम एव से सिद्धे बुद्धे० ॥ नवमं महा कासवज्भरण ॥ ६ ॥ ----X---X---X---X---X---X--- ~24~

Loading...

Page Navigation
1 ... 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78