Book Title: Aagam Sambandhi Saahitya 02 Pratyek Buddhbhashitani Rushibhashitsutrani Moolam
Author(s): Anandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Param Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 20
________________ आगम संबंधी [भाग-2] प्रत्येकबुद्धभाषितानि ऋषिभाषितसूत्राणि ...... अध्ययन-[७], .........मूलं H I गाथा [१-७] ....... पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: (पूर्वकाले आगमरूपेण दर्शित:) "ऋषिभाषित-सूत्राणि-मूलं साहित्य [७] 'कुम्मापुत्त' अध्ययनं प्रत ॥५ ॥ सूत्रांक H गाथा ||१-७|| सव्य' तुक्खाय तुक्स', दुक्ख' सुऊसुअत्तणं । दुक्खीच दुक्करचरिय, चरित्ता सम्बदुवख खयेति तवसा ॥१॥ तम्हा अदीणमणसो | दुक्थी सम्बतुपण' तितिक्खेजा, सेति कुम्मापुत्तेण भरहता इसिणा वुइयं ॥ २ ॥ ज णवादो ण तापजा, अस्थित्त' तबसंज में। समाधि य IMI विराहेति, जे रचारियं चरे ॥३॥ आलस्रोणावि जे केड, उस्मुअत्तं ण गच्छति । तेणावि से सुही होइ, किंतु सद्धी परथकमे ॥४॥ मा (स्ट)स्स तु परिषणाए, जाति(ती)मरणय'ध । उत्तिमबरगाही, बीरियातो परिचए ॥५॥ कामं अकामकामी, अत्तत्ताए परिव्यए । सावजणिरवजेण', परिपणाए परिधए शासित्ति ॥ 4 ॥ एव से सिद्ध बुद्धे ॥ ७॥ सत्ता कुम्मापुत्तणामझप ॥ ७॥ पुत्त केतलि कामत. दीप अनुक्रम [८०-८६] ~20~

Loading...

Page Navigation
1 ... 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78