Book Title: Aagam 12 AUPAPAATIK Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 39
________________ आगम (१२) “औपपातिक” - उपांगसूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:) ----------- मूलं [...१०] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१२], उपांग सूत्र - [१] "औपपातिक" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्रांक [१०] दीप क्ष्यमाणदन्तविभागत्वात् अनेके दन्ता यस्य स तथा । 'हुयवहणितधोयतत्ततवणिज्जरत्ततलतालुजीहे' हुतवहेन-अग्निना &ा निर्मात-दग्धमलं धौत-जलप्रक्षालितं तप्त-सतापं यत्तपनीयं-सुवर्ण तद्वद्रकतलं-लोहितरूपं तालु च-काकुदं जिह्वा || च-रसना यस्य स तथा । अवडियसुविभत्तचित्तमंसू मंसलसंठियपसत्थसहूलविउलहणूए चउरंगुलमुप्पमाणकंबुवरसरिसग्गीवे वर-3 महिसवराहसीहसलउसभनागवरपडिपुण्णविउलक्खंधे जुगसन्निभपीणरइयपीवरपउहसुसंठियमुसिलिदृविसिषणथिरसुबहसंधिपुरवरफलिहवहियभुए भुअईसरविउलभोगआदाणपलिहउच्छूढदीहबार रत्तत-19 लोवइयमउअमंसलसुजायलक्खणपसत्थअच्छिद्दजालपाणी पीवरकोमलवरंगुली आयंचतंवतलिणसुहरुइल&ाणिदणक्खे चंदपाणिलेहे सूरपाणिलेहे संखपाणिलेहे चक्रपाणिलेहे दिसासोत्थिअपाणिलेहे चंदसरसंखचकट दिसासोस्थिअपाणिलेहे कणगसिलातलुज्जलपसत्थसमतलवचियविच्छिण्णपिठुलवच्छे सिरिवच्छंकियवच्छे अकरंडुअकणगरुयपनिम्मलसुजायनिरुवहयदेहधारी अट्ठसहस्सपडिपुण्णवरपुरिसलक्खणधरे सपणय-18 पासे संगपपासे सुंदरपासे सुजायपासे मियमाइअपीणरइअपासे उज्जुअसमसहियजचतणुकसिणणिद्धआइजलडहरमणिजरोमराई झसविहगसुजायपीणकुच्छी I 'अवडियसुविभत्तचित्तमंसू' अवस्थितानि-अवर्द्धिष्णूनि सुविभक्तानि-विविक्तानि चित्राणि-अतिरम्यतया अद्भुतानि श्मश्रूणि-कूर्चकेशा यस्य स तथा । 'मसलसंठियपसत्थसहलविउलहणूए' मांसल-उपचितमांसः संस्थितो-विशिष्टसंस्थानः अनुक्रम [१०] भगवंत-महावीरस्य परिचय: ~38~

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