Book Title: Aagam 12 AUPAPAATIK Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम
(१२)
“औपपातिक” - उपांगसूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:)
----------- मूलं [४३] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१२], उपांग सूत्र - [१] "औपपातिक" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
प्रत
सु०
सूत्रांक
[४३]
औपपा- यालीसं जोयणसयसहस्साई आयामविक्खंभेणं एगा जोयणकोडी बायालीसं सयसहस्साई तीसं च सह-टम तिकम् स्साई दोषिण य अउणापण्णे जोयणसए किंचि विसेसाहिए परिरएणं, ईसिपन्भारा य णं पुढवीए बहुमज्झदे॥११२॥
सभाए अट्ठजोयणिए खेले अट्ठजोयणाई बाहुल्लेणं, तयाऽणतरं च णं मायाए २ पडिहायमाणी २ सब्वेसु४॥ चरिमपेरंतेसु मच्छियपत्ताओ तणुयतरा अंगुलस्स असंखेजहभागं वाहुल्लेणं पण्णत्ता । ईसीपम्भाराए ण
पुढवीए दुवालस णामधेजा पपणत्ता, तंजहा-ईसी इ वा इसीपब्भारा इ वा तणूइ वा तणूतणू हवा सिद्धी ४ीचा सिद्धालए इ वा मुत्ती इ वा मुत्तालए इ वा लोयग्गे इ वा लोयग्गथूभिया इचा लोपग्गपडिबुज्झणा | &ाइ वा सम्वाणयजीवसत्तमुहावहा इ वा । ईसीपभारा णं पुढवी सेया संखतल विमलसोल्लिपमुणालद
गरयतुसारगोक्खीरहारवण्णा उत्ताणयछत्तसंठाणसंठिया सव्वजुणसुवण्णयमई अच्छा सण्हा लण्हा घडा महा णीरया णिम्मला णिप्पंका णिकंकडच्छाया समरीचिया सुप्पभा पासादीया दरिसणिजा अभिरुवा पडिरूवा, ईसीपन्भाराए णं पुढवीए सीयाए जोयणमि लोगते, तस्स जोयणस्स जे से उवरिल्ले गाउए तस्स णं गाउअस्स जे से उवरिल्ले छभागिए तत्थ णं सिद्धा भगवंतो सादीया अपजवसिया अणेगजाइजरामरणजो-2 णिवेयणसंसारकलंकलीभावपुणब्भवगम्भवासवसहीपवंचसमइकता सासयमणागयमद्धं चिडंति ।। (सू०४३)
॥११२॥ M से पुषामेव सन्निस्से त्यादि, अस्यायमर्थः-स-केवली, णमित्यलङ्कारे, 'पूर्वमेव' आदावेव योगनिरोधावस्थायाः संजि
नो-मनोलब्धिमतः पञ्चेन्द्रियस्येति स्वरूपविशेषणं, यतः संज्ञी पञ्चेन्द्रिय एव भवति, 'पज्जत्तस्स'चि मनःपर्याप्या पर्या
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दीप अनुक्रम [१५]
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सिद्ध एवं सिद्ध-पद प्राप्ति-विषयक: अधिकार:
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