Book Title: Aagam 12 AUPAPAATIK Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 199
________________ आगम (१२) “औपपातिक” - उपांगसूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:) ----------- मूलं [४०] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१२], उपांग सूत्र - [१] "औपपातिक" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्रांक [४०] पुमत्ताए पञ्चायाहिति । तए णं तस्स दारगस्स गन्भत्थस्स चेव समाणस्स अम्मापिईणं धम्मे दवा पतिण्णा भविस्सइ, से णं तस्थ णवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाणराइंदियाणं वीइकंताणं सुकुमालपाणिपाए जाव ससिसोमाकारे कंते पियदसणे सुरूवे दारए पयाहिति, तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पढमे ४ दिवसे ठिइवडियं काहिंति, विइयदिवसे चंदसरदंसणियं काहिंति, छढे दिवसे जागरियं काहिति, एक्कार-18 समे दिवसे वीतिकते णिब्वित्ते असुहजायकम्मकरण संपत्ते चारसाहे दिवसे अम्मापियरो इमं एपारूवं गोणं गुणणिफण्णं णामधेनं काहिति-जम्हा णं अम्हं इमंसि दारगंसि गम्भत्थंसि चेव समाणंसि धम्मे दढपइण्णा तं होउ णं अहं दारए ढपइपणे णामेणं, तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो णामधेनं करेहिंति| दढपइण्णेत्ति । तं दृढपदण्णं दारगं अम्मापियरो साइरेगऽवासजातगं जाणित्ता सोभणसि तिहिकरण| णक्खत्तमुहुतंसि कलायरियस्स उवणेहिंति । तए णं से कलायरिए तं दढपइपणं दारगं लेहाइयाओ गणि-12 ४ यप्पहाणाओसउणरूयपज्जवसाणाओबावत्तरि कलाओमुत्ततो यअस्थतो य करणतोय सेहाविहिति सिखा-18 &| विहिति, तंजहा-लेहं गणितं रूवं णदं गीयं वाइयं सरगयं पुक्खरगयं समतालं जूयं जणवायं पासकं अट्ठावयं पोरेकर्च दगमट्टियं अण्णविहिं पाणविहिं वत्थविहिं विलेचणविहिं सयणविहिं अजं पहेलियं मागहियं गाह गीइयं सिलोयं हिरण्णजुत्ती सुवण्णजुत्ती गंधजुत्ती चुण्णजुत्ती आभरणविहिं तरुणीपडिकम्मं इत्थि १ दुक्खवज्ञातंति प्र० CRORECANSASARASTRA दीप अनुक्रम [५०] अंबड-परिव्राजकस्य कथा ~ 198~

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