Book Title: Aagam 12 AUPAPAATIK Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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आगम
(१२)
“औपपातिक” - उपांगसूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:)
----------- मूलं [४०] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१२], उपांग सूत्र - [१] "औपपातिक" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति:
औपपा
प्रत
तिकम्
सूत्रांक
॥९८॥
[४०]
दीप अनुक्रम
लक्खणं पुरिसलक्खणं हयलक्खणं गयलक्खणं गोणलक्षणं कुकुडलक्खणं चकलक्खणं उत्सलक्खणं चम्म-3 अम्म |लक्खणं दंडलक्षणं असिलक्षणं मणिलक्खणं काकणिलक्षणं वत्थुविज खंधारमाणं नगरमाण वधुनिवेसणं | वह पडिरचार पडिचारं चक्कवूह गहलवूहं सगडवूहं जुई निजुडं जुद्धातिजुद्धं मुढिजुद्धं बाहुजुर लयाजुद्ध इसत्य छरुप्पवाहंधणुम्वेयं हिरण्णपागं सुवण्णपागं चट्टखेडं खुत्ताखेडेणालियाखेडं पत्तच्छेज कडवफछेज सज्जीवं|| निजीचं सउणरुतमिति बावत्तरिकला सेहाविति सिक्खावेत्ता अम्मापिईर्ण उवणेहिति । तए णं तस्स दढपइपणस्स दारगस्स अम्मापियरो तं कलायरियं विपुलेणं असणपाणखाइमसाइमेणं वत्थगंधमल्लालंकारेण य सकारहिंति सम्माणेहिंति सकारेत्ता सम्माणेत्ता विपुलं जीवियारिहं पीइदाणं दलहस्सइ, विपुलं २त्ता पडिविसजेहिंति । तए णं से दढपइपणे दारए वावत्तरिकलापंडिए नवंगसुत्तपडिबोहिए अट्ठारसदेसीभासाविसारए। गीयरती गंधब्वणकुसले हयजोही गयजोहीरहजोही बाहुजोही बाहुप्पमही वियालचारी साहसिए अलं भोगसमत्थे आवि भविस्सइ । तए णं ढपइण्णं दारगं अम्मापियरो बावत्तरिकलापंडियं जाव अलं भोगसमत्थं | वियाणित्ता विउलेहि अण्णभोगेहिं पाणभोगेहिं लेणभोगेहिं वत्यभोगेहिं सयणभोगेहिं कामभोगेहि उवणिमं.
तेहिंति, तए णं से दढपइण्णे दारए तेहिं विउलेहि अण्णभोगेहिं जाव सयणभोगेहिं णो सजिहितिणो रजिहिति पणो गिज्झिहिति णो अज्झोववजिहिति, से जहाणामए उप्पले इ वा पउमे इ वा कुसुमे इ वा नलिणे इ वा
१पब्मखेड्डे प्र०२ वेज्झखेधु प्र० ३ नेदं प्र०
[१०]
॥९८॥
DS
अंबड-परिव्राजकस्य कथा
~199~
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