Book Title: Aagam 12 AUPAPAATIK Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 211
________________ आगम (१२) “औपपातिक” - उपांगसूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:) ----------- मूलं [४१] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..........आगमसूत्र - [१२], उपांग सूत्र - [१] "औपपातिक मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: प्रत सूत्रांक [४१] दीप अनुक्रम [११] ठिती पण्णता, परलोगस्स आराहगा, सेसं तं चेव १६।से जे इमे गामागर जाव संनिवेसेसु आजीविका भवंति, तंजहा-दुघरंतरिया तिघरंतरिया सत्तघरंतरिया उप्पलटिया घरसमुदाणिया विजुअंतरिया उट्टियासमणा, तेणं एयारवेणं विहारेणं विहरमाणा बहूई वासाई परियाय पाउणित्ता कालमासे कालं किचा उक्कोसेणं |अजुए कप्पे देवत्ताए उबवत्तारो भवंति, तहिं तेसिं गती बावीसं सागरोबमाई ठिती, अणाराहगा, सेसं तं घेव १७ । से जे इमे गामागर जाब सपिणवेसेसु पब्बइया समणा भवंति, तंजहा-अत्तुकोसिया परपरिवाइया भूइकम्मिया भुजोर कोज्यकारका, ते णं एयारवेणं विहारेणं विहरमाणा बहुई वासाई सामपणपरियागं पाउणंति पाउणित्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयअपडिता कालमासे कालं किया उकोसेणं अञ्चुए कप्पे आमिओगिएम देवेसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तहिं तेर्सि गई बावीसं सागरोवमाई ठित परलोगस्स अणाराहगा, सेसं तं चेव.१८ । सेजे इमे-गामागर जाव सण्णिवेसेसु णिण्हगा भवंति, तंजहा|बहुरया १ जीवपएसिया २ अन्वत्तिया ३ सामुच्छेइया ४ दोकिरिया ५ तेरासिया ६ अबद्धिया ७ इचेते सत्त पवयणणिपहगा केवल(लं)चरियालिंगसामण्णा मिच्छद्दिही बहुहिं असम्भावुभावणाहिं मिच्छत्ताभिपिवेसेहि य अप्पाणं च परं च तदुभयं च बुग्गाहेमाणा वुप्पाएमाणा बिहरिता बहई वासाई सामण्णपरियागं पाउणंति २ कालमासे कालं किच्चा उक्कोसेणं उपरिमेसु गेवेज्जेसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तहिं तेसिंगती एकत्तीसं सागरोवमाई ठिती, परलोगस्स अणाराहगा, सेसंतं चेष १९ से जे इमे गामागर जाव सपिण ~210~

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