Book Title: Aagam 12 AUPAPAATIK Moolam evam Vrutti
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 187
________________ आगम (१२) “औपपातिक” - उपांगसूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:) ----------- मूलं [...३८] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...........आगमसूत्र - [१२], उपांग सूत्र - [१] "औपपातिक" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचित वृत्ति: + प्रत + सूत्राक + [३८] + +- गाथा: णं परिवायगाणं णो कप्पइ अयबंधणाणि वा तउअबंधणाणि वा तंबबंधणाणि जाव बहुमुल्लाणि धारित्तए, तेसि णं परिवायगाणं णो कप्पड़ णाणाविहवण्णरागरत्ताई वस्थाई धारिसए, णपणत्थ एकाए धाउरत्साए, तेसि णं परिव्वायगाणं णो कप्पड हारं वा अद्भहारं वा एकावलिं वा मुत्तावलिं वा कणगावलि वा रयणाबलि वा मुरविं वा कंठमुरविं वा पालंबं घा तिसरयं वा कडिसुत्तं वा दसमुद्दिआणतकं वा कडयाणि वा तुडियाणि वा अंगयाणि वा केजराणि वा कुंडलाणि वा मउडं वा चूलामणिं वा पिणद्वित्तए, णण्णस्य एकेणं तंबिएणं पवित्तएणं, तेसि णं परिवायगाणंणो कप्पइ गंथिमवेढिमपूरिमसंघातिमे चउव्यिहे मल्ले धारित्तए, णपणत्थ एगेणं कण्णपूरेणं, तेसि णं परिव्वायगाणं णो कप्पइ अगलुएण वा चंदणेण वा कुंकुमेण वा गायं अणुलिंपित्तए, णपणत्थ एकाए गंगामहिआए, तेसि णं कप्पद मागहए पत्थए जलस्स पडिगाहित्तए, सेऽधिय वहमाणे णो चेव णं अवहमाणे, सेविय थिमिओदए णो चेव णं कद्दमोदए, सेऽविय बहुपसण्णे णो| चेव णं अबहुपसण्णे, सेविय परिपूए णो चेव णं अपरिपूए, सेविय णं दिण्णे नो चेव णं अदिपणे, सेऽविय पिवित्तए णो चेव णं हस्थपायचरुचमसपक्खालणाए सिणाइत्तए वा, तेसि णं परिवायगाणं कप्पड मागहए अदाढए जलस्स पडिग्गाहित्तए, सेऽविय वहमाणे णो चेव णं अवहमाणे जाव णो चेव णं अदिपणे, सेऽधिय हत्थपायचरुचमसपक्खालणट्टयाए णो चेव णं पिवित्तए सिणाइत्तए चा, ते णं परिवायगा एयारूपेणं विहारेणं | विहरमाणा बहू वासाई परियाय पाउणति बहूई वासाई परियाय पाउणित्ता कालमासे कालं किच्चा उक्को-II दीप अनुक्रम [४४-४८] CARSA ~ 186~

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