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। ३६८ बृहज्जैनवाणीसंग्रह।
१७४-नरकोंके श्रेणिबद्ध विलोंकी सख्या।। 'प्रथम नरकमें श्रेणीबद्ध विले ४४२० दूसरे नरकमें। * २६८४ तीसरे नरकमें १४७६, चैथे नरकमें ७००, पांचवें ।
नरकमें २६० छठे नरकमें ६० और सातवें नरकमें ४ ऐसे * सातौ नरकोंमें ९६०४ इन्द्रकविले हैं।
१७५-नरकोंके प्रकीर्णक बिल । . प्रथम नरकमें प्रकीर्णक विल २९,९५,५६७ दूजे नरकमें। 1 २४,९७,३०५ तीजे नरकमें ८४,९८,५१५ चौथे नरकमें ।
६,९९,२२३ पांचवें नरकमें २,९९,७३५ छठे नरकमें । * ९९,९७२ सातवें नरकमें नहीं है। इसप्रकार तिरासी ८३ ।
लाख नब्बे ९० हजार तीन ३ सौ सैंतालीस ४७ प्रकीर्णक बिल हैं।
१७६-चारप्रकारका दुःख। १क्षेत्रजनित दुःख २ शरीरजनित दुःख ३ मानसिक S दुःख ४ असुरकुमार देवोंकृत दुःख ।
१७७-छयानवै कुभोगभूमि। लवण समुद्रके दोनों किनारोंपर २४-२४ कुभोगभूमियां । है, इसीप्रकार कालोदधि समुद्र के दोनों किनारोंपर २४-२४ कुभोगभूमियां हैं ऐसे कुल ९६ हुई ।
१७८-पांच मंदरगिरि। 1 जम्बूद्वीपमें मन्दर [मेरु] गिरि १, धातकीखंडमें २ और * पुष्करद्वीपमें २ इसतरह ५ मंदरगिरि हैं।