Book Title: Vruhad Hast Rekha Shastra
Author(s): Rajesh Anand
Publisher: Gold Books Delhi

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Page 11
________________ कई बार हाथ में रेखा या किसी लक्षण-विशेष की उपस्थिति के न होने के कारण, असमंजस का सामना करना पड़ता है। परन्तु एक ही लक्षण पर निर्भर न रहकर एक ओर तो अन्य लक्षणों द्वारा भी उसी फल की प्राप्ति हो जाती है, दूसरी ओर उसी लक्षण की निश्चितता का भी ज्ञान होता है। इसी कथन को ध्यान में रखकर हाथ में जो कुछ भी देखा जाए, सावधानी से देखा जाना चाहिए ताकि हाथ के सभी गुण, दोष, अन्य लक्षण व रेखाओं में दोष आदि दृष्टिगत हो सकें। हाथों में निम्न लक्षणों का सूक्ष्म निरीक्षण करने से उत्तम फलों की प्राप्ति होती है आरम्भ में कई बार निराशाजनक फलों की प्राप्ति हो सकती है। इसमें हाथ दिखाने वाले का असहयोग या कोई अन्य कारण हो सकता है। परन्तु इससे हतोत्साहित न होकर पुनः प्रयत्न करना श्रेयष्कर होता है। हमें विश्वास है कि आपको सफलता ही नहीं पूर्ण सफलता हाथ लगेगी। अन्त में यही कहा जा सकता है कि निरन्तर प्रयत्न व अनुभव से प्राप्त ज्ञान ही महत्वपूर्ण है। अतः निरन्तर प्रयत्न व क्रियात्मक अध्ययन ही ज्ञान की कुन्जी है। - लेखक 10 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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