Book Title: Vruhad Hast Rekha Shastra Author(s): Rajesh Anand Publisher: Gold Books DelhiPage 10
________________ हस्तरेखा ज्ञान क्या है ? हस्त लक्षणों का ज्ञान कितना पुराना है, अनुमान नहीं लगाया जा सकता। ज्योतिष का वर्णन उस सर्वशक्तिमान के नेत्रों के रूप में वेदों में पाया जाता है। हस्तरेखा द्वारा ही देवर्षि नारद ने भक्तों के भाग्योदय किए हैं। महाभारत में उंगलियों का अग्रभाग मोटा होना व्यक्ति के जीवन में अस्थिर होने का लक्षण दर्शाया गया है। संसार के प्रत्येक देश में किसी न किसी प्रकार से ज्योतिष ज्ञान पाया जाता है। व्यक्ति कहीं हाथ की रेखाओं, कहीं शरीर के लक्षणों या केवल अंगूठे को देखकर जिज्ञासा को शान्त करता है। पुराणों, शास्त्रों व जनसंकुलन में अनेक शकुनों का पाया जाना भी व्यक्ति की निरन्तर व अतीतकालीन भविष्य विषयक जिज्ञासा का चिन्ह है। अतः पता नहीं कब से इस सम्बन्ध में विचार होता रहा है। इसी जिज्ञासा के शमन का परिणाम ही ज्योतिष है, जिसका आधार खगोल के आश्चर्यजनक ग्रह, करतल, मस्तक व पादतल की रेखाएं रमल, शकुन व श्वास-क्रिया आदि हैं। ... ज्योतिष का ध्येय मानव कल्याण है। अत: परमार्थ को सर्वोपरि रखकर भविष्य बताना ही उत्तम है, क्योंकि इसके अभ्यास में अनेक स्थल ऐसे आते हैं कि हस्तरेखाविद् को व्यक्ति का पूर्ण विश्वास प्राप्त होता है। जिसका अनेक प्रकार से दुरूपयोग भी किया जा सकता है जो कि इस ईश्वरीय विद्या का ही दुरूपयोग है। अत: ज्योतिषी को चरित्र, व्यवहार, वाणी के विषय में विशेष संयम व सतर्कता की आवश्यकता होती है। । इसी के अभाव में आज यह ज्ञान बाजारू बन गया है और अनेक अनर्गल बातें इस विषय में प्रचलित हैं। ज्योतिष का, सही मार्गदर्शन, कार्य का दिशानिर्धारण व भविष्य के विषय में सतर्कता ही केवल उपयोगी है, जिसके फलस्वरूप परिश्रम की बचत व रक्षा की सम्भावना रहती है। वैसे तो ज्योतिष का ध्येय ही मानव कल्याण है, तो भी यह कला व्यक्ति विशेष के जीवन का विश्लेषण करती है। ___'एक फल, एक लक्षण' इस कहावत को ज्योतिष विद्या ने नकारते हुए सिद्ध किया है कि एक फल की पुष्टि अनेक लक्षणों से होती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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