Book Title: Viroday Mahakavya Aur Mahavir Jivan Charit Ka Samikshatmak Adhyayan
Author(s): Kamini Jain
Publisher: Bhagwan Rushabhdev Granthmala

Previous | Next

Page 14
________________ (vii) चतुर्थ अध्याय में वीरोदय के काव्यात्मक मूल्यांकन में कवि की काव्यात्मकता, छन्द प्रयोग, अलंकारों का विवेचन, रसानुभूति, भाषा-शैली, संवादों की विशिष्टता तथा अन्य काव्यों से तुलनात्मक समीक्षा की गई है। पंचम अध्याय में वीरोदय महाकाव्य का सांस्कृतिक एवं सामाजिक विवेचन किया गया है। जिसमें सामाजिक चित्रण, वर्ण-व्यवस्था, परिवार, समाज व सामाजिक संगठन, नीतिगत व्यवस्था, समाज में अनुशासन, रीति-रिवाज, वेश-भूषा व रहन-सहन पद्धति का अध्ययन किया गया है। इसमें धार्मिक अनुष्ठान, व्रत, उपवास, शिक्षा एवं शिक्षा-पद्धति, जीवमात्र पर दया, सहिष्णुता के साथ-साथ कला-चित्रण का मूल्यांकन भी किया गया षष्ठ अध्याय के अन्तर्गत धर्म का स्वरूप, धर्म की महत्ता, देव, शास्त्र, गुरू की भक्ति, रत्नत्रय का स्वरूप, पुण्य-पाप विवेचना तथा वीरोदय में कर्म सिद्धान्त की समीक्षा प्रस्तुत करते हुए सदाचार एवं शाकाहार जीवन-शैली व पुरूषार्थ चतुष्टय के महत्त्व को प्रतिपादित किया गया है। उपर्युक्त छह अध्यायों की विषय-वस्तु के आधार पर प्राप्त निष्कर्षों को उपसंहार में संकलित किया गया है। शोध-प्रबन्ध में जिन ग्रन्थों का उपयोग किया गया है, उनकी सूची, शब्दकोश तथा शोध से सम्बन्धित विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं की सूची अंत में दी गई है। यह पुण्य योग ही है कि आचार्यश्री विद्यासागर जी महाराज के परम शिष्य मुनिपुंगव श्री 108 सुधासागर जी महाराज ने प्रस्तुत विषय पर शोध-कार्य करने की प्रेरणा और आशीर्वाद दिया तथा क्षुल्लक श्री गम्भीरसागर जी, क्षुल्लक श्री धैर्यसागर जी ने अनुमोदना की। मुनिश्री ने शोध--प्रबन्ध की संक्षिप्त रूप रेखा को भी देखा और वीरोदय महाकाव्य हस्तलिखित ग्रन्थ को देखने का सुझाव दिया। मुनिश्री के चरणों में कृतज्ञता पूर्वक शत-शत नमन तथा क्षुल्लक-द्वय को करबद्ध इच्छामि। शोध एवं अनुसंधान के उच्च मानदण्डों के अनुरूप कार्य की प्रायोजना, उसके परीक्षण, उचित निर्देशन तथा वर्तमान रूप में कृति को प्रस्तुत करने में मेरे शोध निर्देशक जैनविद्या एवं प्राकृत विभाग, मानविकी संकाय, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के विशिष्ट सम्मानित

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 ... 376