Book Title: Varangcharit
Author(s): Sinhnandi, Khushalchand Gorawala
Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad

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Page 680
________________ सभावनात्युग्रमहाव्रतानि रक्षन्स यत्नात्समितः समित्या। त्रिगुप्तिगुप्तो विगतप्रमावश्चारित्रमाराध्य यथोपदिष्टम् ॥ ८४ ॥ संहृत्य सर्वाण्यपि गोचराणि तथेन्द्रियाण्यात्ममनश्च तेभ्यः । अचिन्तयन्द्वादश' चिन्तनीयान्याराधनोत्कर्षगतो यतीशः ॥५॥ संध्यातडिद्वह्निशिखाम्बुदोमि तृणाग्रलग्राम्बुकणश्रियं च । समावृतीनीह च जीवितानि नृणामिति प्राहरनित्यतायाः ॥ ८६ ॥ व्यादारितास्ये सति यत्कृनिङ्ग न प्राणिनां प्राणमिहास्ति' किंचित् । मृगस्य सिंहोग्ननिशातर्दष्ट्रा यत्र प्रविष्टात्मतनोरिवार ॥ ७॥ PatanARSATI एकत्रिंशः सर्गः R अत्यन्त कठिन महाव्रतों तथा उनको पच्चीसों भावनाओंकी सांगोपांग शुद्धिकी रक्षा करते हुए, बड़े यत्नके साथ ईर्या | आदि समितियोंकी मर्यादाके भीतर ही आचरण करते हुए, तीनों गुप्तियों रूपो रक्षकोंसे रक्षित होते हुए तथा आलस तथा प्रमादको सर्वथा राजर्षिने आगमके अनुकूल विधिसे ही चरित्र आराधनाका अनुष्ठान किया था ।। ८४ ॥ विषय विसर्जन जितने भी पदार्थ तथा भाव इन्द्रियोंको पहुँचके भीतर हो सकते थे, उनकी कल्पना तकको नष्ट कर दिया था तथा मन और इन्द्रियोंको भी उधरसे संकुचित कर लिया था उनका चित्त सदा ही अनित्य, अशरण आदि बारह भावनाओंकी चिन्तामें लीन रहता था, क्योंकि श्रेयार्थी जीवोंके लिए भावनाओंका मनन अनिवार्य है। इस व्यवस्थित क्रमका पालन करनेसे यतिराज वरांगकी आराधनाएँ चरम उत्कर्षको प्राप्त हो गयी थीं ।। ८५ ॥ संसारको अनित्यता मनुष्योंके जीवनोंको सुषुमा संध्याकी लालिमाके सदृश ललाम है, विद्युत् प्रकाशको भाँति चंचल है, अग्निकी भभकके समान क्षण-स्थायी है, मेघ-चित्रोंके समान विनाशी, लहरोंके समान अस्थायी, दूवकी पत्तीपर जमी इन्द्र धनुषकी शोभा युक्त ओसकी बूंदके समान ही मनुष्य जीवन हर ओरसे अनित्यतासे घिरा हुआ है ॥ ८६॥ आयु कर्मका अन्त अथवा यम जब अपने विकराल मखको फैला देता है तब निश्चित है कि इस संसारमें प्राणियोंके प्राणोंका बचना असम्भव है । सिंहके घातक तथा तीक्ष्ण दाँत जब मृगके शरोरमें फँस हो गये, तो वह कैसे बच सकता है यही । अवस्था शरीरमें प्रविष्ट आत्माकी भी है ।। ८७ ।। । १. [अचिन्तयद्द्वादश]। २. क तटिद् । ३. [ कृतान्ते ]। ४. [त्राण"]। ELESSERIESaSaxe www.jainelibrary.org Jain Education International For Privale & Personal Use Only

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