Book Title: Vakpatiraj ki Lokanubhuti
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
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विष्णाणालोमोच्चि कुमईण विसारनं पचासेइ । कसणाण मणीणं पिव तेल-प्फुरणं सिनं चेन ॥
हिश्रश्र विग्रडत्तणेणं गरुप्राण णणिव्वति बुद्धीश्रो । घालंति महा - भवणेसु मंद - किरणच्चित्र पईवा ।।
अच्चंत - विएएण वि गरुम्राण ण णिव्वडति संकप्पा | विज्जुज्जोभो बहलत्तणेण मोहेइ श्रच्छोइ ॥
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जे गेव्हंति सचित्र लच्छिण हु ते ण गारव द्वाणं । ते उण केवि सर्याचित्र दालिद्दं घेप्पए जेहि ||
मरणमहिणदमाणाण अप्पणच्चै कुणइ कुविप्रो कतो जइ विवरी
एक्के पावंति ण तं प्रण्णे परनो व्व तीए दीसंति । इराण महग्घाणं च अंतरे णिवसइ पसंसा ||
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मुक्कविवाण । सुपुरिसाण ||
बाकूपतिराज की
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