Book Title: Vakpatiraj ki Lokanubhuti
Author(s): Kamalchand Sogani
Publisher: Rajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur

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Page 80
________________ विइण्ण-करुणाई [(विइण्ण) भूक अनि-(करुण) 2/2] हिसाई (हिप्र) 1/2 72. अण्णण्णाई (अण्णण्ण) 2/2 वि उर्वता (उवे) वकृ 1/2 संसार वहम्मि [(संसार)-(वह) 7/1] गिरवसाणम्मि (णिरवसाण) 7/1 वि मण्णंति (मण्ण) व 3/2 सक धीर-हिमा [(धीर) वि(हिप्रम) 1/2] वसइ-ट्ठाणाई [(वसइ)-(ट्ठाण) 1/2] व (प्र)= की तरह कुलाई (कुल) 2/2 73. ससिएहिं (ससिप) 3/2 चिन (अ)- ही लोगो (लोअ) 1/1 दुक्खं (दुक्ख) 2/1 लहुएइ (लहुअ) व 3/1 सक दुक्ख-गणिएहि [(दुक्ख)-(जण) भूक 3/2] प्रायास करहिं [(प्रायास)-(का) भूक 3/2 अनि] करी (करि) 1/1 प्रायासं (प्रायास) 2/1 सीपरेहिं (सीअर) 3/2 व (म)=जैसे 74. पहरिस-मिसेण [(पहरिस)-(मिस) 3/1] बाहों (बाह) 1/1 जं (प्र)-चूकि बंधु-समागमे [(बंधु)-(समागम) 7/1] समुत्तरइ (समुत्तर) व 3/1 अक वोच्छेप्र-कापराई [(वोच्छेत्र)- (कार) 1/2 वि] तं (अ)=तो गुण (अ) =पूरी संभावना है कि गलंति (गल) व 3/2 अक हिप्रपाइं (हिअन) 1/2 75. मूढ (मूढ) 8/1 वि सिढिलत्तणं (सिढिलत्तण) 1/1 ते (तुम्ह) 4/1 सणेह-वासेण [(सणेह -(वास) 3/1] कह (अ) = कैसे णु (अ) - संभावना बद्धस्स (बद्ध) भूक 4/1 अनि बाढं (अ) = बहुत ज्यादा गाढपराअइ [(गाढप्रर)(प्राइ)] [(गाढअर) तुवि-(प्रा) लोकानुभूति 61 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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