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तत्त्वार्थ सूत्र
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अर्थ - व्यन्तर देवों की उत्कृष्ट आयु १ पल्योपम होती है ।
ज्योतिष्काणा-मधिकम् ॥४८॥
अर्थ - ज्योतिष्क (सूर्य, चन्द्र) की उत्कृष्ट आयु कुछ अधिक एक पल्योपम है ।
ग्रहाणा-मेकम् ॥४९॥
अर्थ - ग्रहों की उत्कृष्ट आयु एक पल्योपम होती है । नक्षत्राणा - मर्धम् ॥५०॥
अर्थ - नक्षत्रों की आयु आधा पल्योपम (१/२) होती है । तारकाणां चतुर्भागः ॥५१॥
अर्थ - तारों की उत्कृष्ट आयु चौथा भाग ( १/४) पल्योपम होती है।
जघन्य त्वष्टभागः ॥५२॥
अर्थ - तारों की जघन्य आयु पल्योपम का आठवाँ भाग (१/८) होती है ।
चतुर्भागः शेषाणाम् ॥५३॥
अर्थ - शेष ज्योतिष्क देवों की जघन्य आयु पल्योपम का चौथ भाग (१/४) होती है ।