Book Title: Tattvartha Sutra
Author(s): Umaswati, Umaswami, 
Publisher: Ashapuran Parshwanath Jain Gyanbhandar

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Page 26
________________ तत्त्वार्थ सूत्र २५ अर्थ - व्यन्तर देवों की उत्कृष्ट आयु १ पल्योपम होती है । ज्योतिष्काणा-मधिकम् ॥४८॥ अर्थ - ज्योतिष्क (सूर्य, चन्द्र) की उत्कृष्ट आयु कुछ अधिक एक पल्योपम है । ग्रहाणा-मेकम् ॥४९॥ अर्थ - ग्रहों की उत्कृष्ट आयु एक पल्योपम होती है । नक्षत्राणा - मर्धम् ॥५०॥ अर्थ - नक्षत्रों की आयु आधा पल्योपम (१/२) होती है । तारकाणां चतुर्भागः ॥५१॥ अर्थ - तारों की उत्कृष्ट आयु चौथा भाग ( १/४) पल्योपम होती है। जघन्य त्वष्टभागः ॥५२॥ अर्थ - तारों की जघन्य आयु पल्योपम का आठवाँ भाग (१/८) होती है । चतुर्भागः शेषाणाम् ॥५३॥ अर्थ - शेष ज्योतिष्क देवों की जघन्य आयु पल्योपम का चौथ भाग (१/४) होती है ।

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